Order 26 Rule 9 CPC --Commissions to make local investigation.
आदेश 26 नियम 9 सी.पी. सी.--स्थानीय अन्वेषण करने के लिए कमीशन।
सिविल वादों में वादग्रस्त सम्पति के वाद के सम्बन्ध में स्थानीय अनुसन्धान की आवश्यकता पड़ती है। धारा 75 एवम आदेश 26 नियम 9 के अंतर्गत न्यायलय को स्थानीय अनुसन्धान के लिए कमीशन जारी करने की शक्तियां प्रदान की गई है।संहिता में आदेश 9निम्न प्रकार है--आदेश 26 नियम 9 सी.पी. सी.--स्थानीय अन्वेषण करने के लिए कमीशन --किसी भी वाद में जिसमे न्यायलय विवाद में के किसी विषय के स्पष्टीकरण के या किसी सम्पति के बाजार मूल्य के या किन्ही अन्तः कालीन लाभों या नुकशानी या वार्षिक शुद्ध लाभों की रकम के अभिनिश्चित के प्रयोजन के लिए स्थानीय अन्वेषण करना, अपेक्षणीय या उचित समझता है, न्यायलय ऐसे व्यक्ति के नाम जिसे वह ठीक समझे,ऐसा अन्वेषण करने के लिए और उस पर न्यायलय को रिपोर्ट देने के लिए उसे निदेश देते हुए कमीशन निकाल सकेगा;
परन्तु जहां राज्य सरकार ने उन व्यक्तियों के बारे में नियम बना दिये हैं जिनके नाम ऐसा कमीशन निकाला जा सकेगा वहां न्यायलय ऐसे नियमों से आबद्ध होगा।
इस प्रकार उपरोक्तानुसार स्पष्ट है कि न्यायलय वाद में किसी भी प्रक्रम पर निरीक्षण के लिए कमीशन जारी कर सकते हैं।प्रतिवादी द्वारा वादी की भुमि पर किये जा रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए वादी द्वारा स्थाई निषेधाज्ञा के लिए संस्थित वाद में यह आवेदन करने पर की वादी की भूमि का नाप और सीमांकन करने के लिए कमिश्नर नियुक्त किया जावे।ऐसा आवेदन स्वीकार किया जाकर भूमि के नाप और सीमांकन के लिए कमिश्नर की नियुक्ति की जा सकती है।
स्थानीय अनुसंधान के लिए कमीशन जारी करना न्यायलय की विवेकाधीन शक्ति है।
यह नियम वादों की कार्यवाही में लागू होता है।वादपत्र के साथ प्रस्तुत आदेश 39 के आवेदन में आदेश39 नियम 7 के अंतर्गत आवेदन पत्र दिया जाना चाहिए।
आदेश39 के लिए यहाँ Click कर देखें।
ORDER 26, SEC. 75-78 CPC (आदेश 26, धारा75 -78 सी. पी.सी.)
न्यायलय द्वारा कमिश्नर नियुक्त करने पर कमिश्नर द्वारा आवश्यक अनुसन्धान के बाद एक प्रतिवेदन तैयार करेगा और उस प्रतिवेदनको ऐसे साक्ष्य के साथ, जो उसके द्वारा ली जाये, कमीशन जारी करने वाले न्यायलय को प्रस्तुत करेगा।ऐसे प्रतिवेदन पर कमिश्नर के हस्ताक्षर किए जायगे।यदि प्रतिवेदन से कमिश्नर की कार्यवाही से न्यायलय असन्तुष्ट हो तो वह ऐसी अग्रिम जांच का निदेश दे सकेगा जो वह उचित समझे।
(आदेश26 नियम 10)
एक कमिश्नर की रिपोर्ट में कोई कमी रह जाने पर उसे निरस्त किये बिना दूसरा कमीशन जारी किया जा सकता है।लेकिन प्रथम बार नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट पर्याप्त होने पर दुबारा कमिश्नर नियुक्त किया जाना आवश्यक नहीं है।
कमिश्नर की रिपोर्ट पर न्यायलय द्वारा गुणा गुण के आधार पर विचार कर सकता है।ऐसे मामलों में कमिश्नर का परीक्षण किया जाना आवश्यक नहीं है।पक्षकार चाहे तो परीक्षण न्यायलय में करवा सकते हैं।
सहिंता का यह महत्वपूर्ण उपबंध है तथा सिविल वादों की कार्यवाही में हमेशा इसकी आवश्यकता होती है।एक सफल अधिवक्ता को इस उपबंध की विस्तृत जानकारी होना जरूरी है।
इस उपबंध के संबंध मे महत्वपूर्ण न्यायनिर्णय --
1. कमिश्नर की नियुक्ति का आवेदन खारिज किया--तथ्यात्मक स्थिति के सम्बंध में विवाद नहीं --मौके के भौतिक सत्यापन हेतु कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं --निर्णीत, आलोच्य आदेश में अवैधता नहीं है।
2013 (4) DNJ 1486
2. कमिश्नर की नियुक्ति --आवेदन खारिज किया --निगरानी खारिज --कब्जे के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त करने हेतु आवेदन पेश किया --साक्ष्य पेश कर वादी को कब्जा साबित करना आवश्यक है --,निर्णीत, आदेश में अवैधता नही हैं।
3.कमिश्नर रिपोर्ट के जरिए साक्ष्य सृजन करने के लिए पक्षकारो को अनुमति नहीं दी जा सकती।प्राथी को साबित करना आवश्यक है कि निष्कृष कैसे प्रतिकूल है।याचिका खारिज की।
2015 (1) DNJ 198
4. वादी गली साबित करने में असफल रहा।कमिश्नर ने टिप्पणी की कि गली सरकारी गली थी --साक्ष्य पैदा करने के लिए कमिश्नर की रिपोर्ट का उपयोग नही किया जा सकता है।
2014 (4) DNJ 1632
5. कमीशन जारी करना न्यायलय के विवेकाधीन है।जहाँ साक्ष्य प्रस्तुत होने मात्र से विवादास्पद बिंदु तय नही हो सकता हो।
1997 (2) DNJ 541
6.सम्पति के बाजार मूल्य के निधार्रण हेतु अधिवक्ता को कमिश्नर नियुक्त नहीं होता जा सकता हैं।
AIR 2002 NOC185 Mad
नोट :- आपकी सुविधा के लिए इस वेबसाइट का APP-CIVIL LAW- GOOGLE PLAY STORE में अपलोड किया गया हैं जिसकी लिंक निचे दी गयी हैं। आप इसे अपने फ़ोन में डाउनलोड करके ब्लॉग से नई जानकारी के लिए जुड़े रहे।
APP डाउनलोड करने के लिए यह क्लीक करे।
No comments:
Post a Comment