Requisites of a valid adoption- section 6 Hindu Adoption And Maintenance Act,1956
विधिमान्य दत्तक संबंधी अपेक्षाएं -- धारा 6 हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम 1956
धारा 6--विधिमान्य दत्तक संबंधी अपेक्षाएं -- कोई भी दत्तक विधिमान्य नहीं होगा जब तक कि :
(i) दत्तक लेने वाला व्यक्ति दत्तक लेने की सामर्थ्य और अधिकार न रखता हो;
(ii) दत्तक देने वाला व्यक्ति ऐसा करने की सामर्थ्य न रखता हो;
(iii) दत्तक व्यक्ति दत्तक में लिए जाने योग्य न हो; और
(iv) दत्तक इस अध्याय में वर्णित अन्य शर्तों के अनुवर्तन में न किया गया हो।
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हिंदू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 6 में विधि मान्य दत्तक संबंधी अपेक्षाएं का प्रावधान किया गया है। गोद में लेने वाले व्यक्ति को गोद लेने की पात्रता एवं गोद लेने का अधिकार होना चाहिए तथा गोद में देने वाले व्यक्ति को भी गोद मे पुत्र पुत्री देने की पात्रता होनी चाहिए तथा गोद में लिए गए पुत्र पुत्री को गोद में लिया जाने योग्य हो तथा इस अध्याय में दी गई शर्त का पालन होना चाहिए। धारा 7,8,9,10 एवम 11 में दिए गए प्रावधानों के अनुकूल लिया गया गोद ही वैध होगा इस धारा से दी गई शर्तों के पालन में लिया गया गोद ही वेध होगा होगा।
शास्त्रीक हिंदू विधि के अनुसार विवाहित पुरुष को गोद लिया जा सकता था। जब विवाहित पुत्र को गोद लिया जाता था तो गोद पुत्र पिता के परिवार का सदस्य हो जाता था और गोद पुत्र की पत्नी भी गोद वाले परिवार की सदस्यता हो जाती थी। गोद में लिए गए पुत्र के बच्चे जो गोद लेने के पूर्व पैदा हुए हो वे अपने पिता के प्राकृतिक मां-बाप के परिवार के ही सदस्य होते थे उनका गोत्र भी नहीं बदलता था वे प्राकृतिक परिवार के ही सदस्य माने जाते थे। किंतु गोद में लिए गए पुत्र की गोद की तिथि के बाद कोई संतान पैदा होती थी तो वह गोद लेने वाले परिवार का ही सदस्य माना जाता था और वह उसका गोत्र हो जाता था। यदि गोद में लिए जाने वाले पुत्र की पत्नी को गोद की तारीख के समय गर्भ रहा हो और गोद लेने की तारीख के बाद पुत्र जन्म लेता है तो उस पुत्र का जन्म गर्भधारण के समय से नहीं माना जाएगा किंतु वास्तविक जन्म की तारीख की जन्म तारीख मानी जाएगी। इस प्रकार गोद लिए गए पुत्र की विधवा गोद लेने की तारीख को गर्भवती थी और गोद लेने की तारीख के बाद पुत्र को जन्म दे तो वह पुत्र गोद लेने वाले परिवार का सदस्य होगा और अपने पिता जो गोद में लिया गया तथा उसका उत्तराधिकारी माना जाएगा।
1981 ए आई आर (मुंबई) 13
दो विधवाओं के द्वारा गोद अवैध -- किसी मृतक की दो विधवाओं के द्वारा एक साथ गोद नहीं लिया जा सकता है। एक मामले में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किया गया कि वादी द्वारा उद्घोषणा, कब्जा एवं स्थाई निषेधाज्ञा का वाद इस आशय का पेश किया की वह देवभान बुवा का गोद पुत्र है क्योंकि देवभान की दो विधाएं यशोदा बाई एवं अंसा बाई थी और दोनों विधवा ने दिनांक 10 जुलाई1956 को गोद लिया एवं रजिस्टर्ड विलेख निष्पादित किया गया। विधवाओं ने अस्वीकार करते हुए प्रतिरोध किया। मुंबई उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि दो विधवाओंद्वारा लिया गया गोद अवैध है, दो सह एक साथ गोद नहीं ले सकती।
1977 एआईआर (मुंबई) 13
ऐसे किसी भी बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकता जिसकी मां से जब वह अविवाहित रही हो गोद में लेने वाले व्यक्ति से हिंदू विधि के अनुसार विवाह वर्जित हो अर्थात जिस बच्चे को गोद में दिया जाना है उस बच्चे की मां से उसकी कुमारी अवस्था में गोद लेने वाले व्यक्ति की शादी विधि अनुकूल संभव ना हो। इसलिए एक भाई दूसरे भाई को गोद नहीं ले सकता। विधवा द्वारा गोद लिए जाने का अर्थ है विधवा के पति द्वारा भी गोद लिया जाना। इसलिए विधवा अपने देवर को गोद नहीं ले सकती क्योंकि यह एक भाई के द्वारा दूसरे भाई को गोद लेना हुआ है। इस प्रकार का गोद अवैध है। इस संबंध में पारित निर्णय--
1979 एमपी एल जे 375
1962 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 351
1970 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 1286
1978 एमपी एलजे 843
दोबारा गोद अवैध -- यदि किसी व्यक्ति ने गोद लेने संबंधी प्रावधानों के अनुसार यदि किसी बच्चे को गोद ले लिया हो और गोद वेध हो तो वह दोबारा किसी अन्य बच्चे को गोद में नहीं ले सकता और प्रथम गोद को रद्द नहीं कर सकता और गोद पुत्र ही गोद लिए जाने को अस्वीकार करके अपने प्राकृतिक पिता के परिवार में वापस जा सकता है। इसलिए प्रथम वेध गोद के बाद द्वित्तीय गोद अवैध होगा भल्ले ही द्वित्तीय गोद विधिवत लिया गया हो।
1967 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 207
1964 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 1323
नारी के द्वारा गोद की वैधता-- धारा 6 ऐसा उपबंध करती है कि कोई भी दत्तक वेद नहीं होगा जब तक कि वह अध्याय में दी गई अन्य शर्तो के अनुकूल न हो और धारा 11 में दी गई शर्त शामिल है। धारा 11 की शर्त (4) अपेक्षा करती है कि यदि को देने वाला व्यक्ति नारी हो तो गोद लेने वाले(adopter) और गोद में लिए जाने वाले (adoptee) के बीच उम्र में 21 वर्ष का अंतर होना चाहिए। ऐसा ना होने पर गोद अवैध है।
1979 एआईआर (उड़ीसा) 205
एक मामले में यह अभी कथित किया गया कि प्रतिवादी संख्या को वादी ने पुत्र के रूप में दत्तक ग्रहण किया - अभी कथित दत्तक ग्रहण के समय प्रतिवादी संख्या 1 लगभग 22 वर्ष की आयु का था - पक्षकारों मैं किसी ऐसी प्रथा या रीति के लागू होने के बारे में कोई साक्ष्य नहीं है जिसके द्वारा 15 वर्ष से ज्यादा आयु के व्यक्ति का दत्तक ग्रहण अनुज्ञेय हो-- स्वयं दत्तक ग्रहण का तथ्य भी सिद्ध नहीं हुआ-- निर्णित, प्रतिवादी यह सिद्ध करने में विफल रहे कि प्रतिवादी संख्या 1 को वादी ने दत्तक लिया तथा यह वैद्य दत्तक ग्रहण था।
2004 (2) डी एन जे (राजस्थान) 1630
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