In which court to the petition shall be presented under the Hindu law? वह न्यायालय जिसमें अर्जी उप स्थापित की जाएगी Section 19 Hindu marriage Act 1955 - CIVIL LAW

Monday, April 1, 2019

In which court to the petition shall be presented under the Hindu law? वह न्यायालय जिसमें अर्जी उप स्थापित की जाएगी Section 19 Hindu marriage Act 1955

In which court to the petition shall be presented under the Hindu law?Section 19 Hindu marriage Act 1955

हिंदू विधि के अंतर्गत किस न्यायालय में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जा सकेगे।धारा 19 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955








धारा 19 हिंदू विवाह अधिनियम - वह न्यायालय जिसमें अर्जी उप स्थापित की जाएगी - - अधिनियम के अधीन हर प्रार्थना पत्र जिला न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी जिसकी मामूली आरंभिक सिविल अधिकारिता की स्थानीय सीमाओ के अंदर--

(1) विवाह का अनुष्ठापन हुआ था हुआ था,

(2) प्रतिवादी, अर्जी के पेश किए जाने के समय, निवास करता है: या

( 3) विवाह के पक्षकारों ने अंतिम बार एक साथ निवास किया था; या

(3-क) पत्नी के अर्जीदार होने की दशा में, याचिका प्रस्तुत करने वाले दिनांक को, जहाँ वह निवास कर रही है; या 

(4) अर्जी दार के अर्जी पेश किए जाने के समय निवास कर रहा है यह ऐसे मामले में इसमें प्रतिवादी उस समय ऐसे राज्य क्षेत्र के बाहर निवास कर रहा है जिस पर इस अधिनियम का विस्तार है अथवा वह जीवित है या नहीं इसके बारे में 7 वर्ष या उससे अधिक समय की कालावधि के भीतर उन्होंने कुछ नहीं सुनना है, जिन्होंने उसके बारे में यदि वह जीवित होता तो, स्वभाविकतया सुना होता।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 3 (ख) के अनुसार इस अधिनियम के अंतर्गत कि किसी भी याचिका की सुनवाई करने का अधिकार जिला न्यायालय को है। इस धारा के अंतर्गत याचिका किस जिला न्यायालय मैं पेश की जाएगी इसके संबंध में चार शर्तें दी गई है जिनके  अनुसार जिस जिला न्यायालय का क्षेत्राधिकार प्राप्त होता है उसके समक्ष याचिका पेश की जाएगी। जिला न्यायालय के क्षेत्राधिकार के संबंध में विचार करते समय वास्तविक निवास को ही देखा जाना चाहिए निवास करने का अर्थ निवास का मूल निवास नहीं होता किंतु कार्यवाही आरंभ होते समय का वास्तविक निवासी देखा जाना चाहिए। 1982 एआईआर सुप्रीम कोर्ट 3


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इस धारा के खंड 2 (2) तथा (4) के प्रावधान 1976 के संशोधन के द्वारा जोड़े गए हैं और धारा को पुनः लिखकर नए प्रावधान का समावेश किया गया है। जिला न्यायालय की परिभाषा धारा 3 (ख) में दी गई है। निवास को परिभाषित नहीं किया गया है और न अवधि की सीमा रेखा बताई गई है परंतु पर्यटन आदि में या किसी कार्य हेतु अल्प समय के लिए ठहरने को निवास नहीं कहा जा सकता। प्रत्येक मामले में निवास के प्रयोजन तथ्य आदि के आधार पर निर्णय लिया जा सकता है। क्षेत्राधिकार के संबंध में आपत्ती प्रारंभ में ही पेश की जानी चाहिए।

एक मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने अभी निर्धारित किया है कि जब यह प्रश्न उठता है कि किस स्थान पर विवाह संपन्न किया गया था पत्नी अंतिम बार किस स्थान पर निवास किए विधि और तथ्य मिश्रित प्रश्न है अथवा ऐसा प्रश्न प्रारंभिक वाद प्रश्न के रूप में नहीं निपटाया जा सकता है। 1994 एआईआर राजस्थान 156

एक साथ निवास-- जब यह निर्णय करना हो की पति और पत्नी एक साथ ही निवास किए पो केवल उन दोनों के एक साथ निवास को देखना है की एक साथ निवास करते हुए वैवाहिक जीवन का आनंद उन्होंने लिया या नहीं इस बात पर विचार की जरूरत नहीं है। 1986 एआईआर दिल्ली 31

एक मामले में अभी निर्धारित किया गया कि विवाह बिहार में संपन्न हुआ और दोनों कभी भी ग्वालियर में नहीं रहे जहां पति नौकरी में था इन तो पति के उच्च अधिकारी के समक्ष पत्नी ने अपने वकील के माध्यम से पति के विरुद्ध शिकायत भेजी थी। इसी शिकायत के आधार पर ग्वालियर न्यायालय को अधिकार प्राप्त नहीं होता है। 1987 (2) एम. पी. डब्ल्यू.एन.167

अंतिम बार एक साथ निवास-- एक साथ पति पत्नी के निवास के आधार पर न्यायालय को क्षेत्राधिकार प्रदान करने के प्रयोजन के लिए यह आवश्यक नहीं है कि पक्षकार ने स्थाई रूप से निवास करने का विचार किया हो। अस्थाई निवास न्यायालय को क्षेत्राधिकार प्रदान करने के लिए काफी है। 1963 एआईआर सुप्रीम कोर्ट 1521

क्षेत्राधिकार संबंधी आपत्ति - - न्यायालय के द्वारा पारित न्यायिक पृथक्करण के आधार पर विवाह विच्छेद के लिए आवेदन पेश किया गया तब यह आपत्ति नहीं की जा सकती की न्यायिक पृथक्करण के लिए पारित आदेश न्यायालय ने क्षेत्राधिकार  के बिना ही पारित किया है।
1965 एआईआर (मैसूर) 110 (खंडपीठ)

निवास-- विवाहेतर संभोग के लिए पति अपने पिता के घर पत्नी के साथ अस्थाई निवास करता है तो भी इस धारा के प्रयोजन के लिए निवास है एवं उस स्थान पर क्षेत्राधिकार वाले जिला न्यायाधीश को क्षेत्राधिकार होगा।
1966 एआईआर (मैसूर) 178

पंचायत द्वारा विवाह विच्छेद अवैधानिक-- धारा 19 में आए हुए शब्द " इस अधिनियम के अधीन हर प्रार्थना पत्र" का संदर्भ इस अधिनियम की धारा 9 से 13 के अंतर्गत याचिका से है यह अधिनियम ऐसा कोई उपबंध नहीं करता है कि रूढ़ि और परंपरा के आधार पर जाति की पंचायत के समक्ष पति पत्नी में विवाह विच्छेद हो गया है इसलिए इस संबंध में उद्घोषणा प्रदान कर दी जाए। इस अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो पति या पत्नी जिसके विरुद्ध धारा 9 से 13 मैं किसी एक के अंतर्गत पति या पत्नी के द्वारा पेश याचिका  मैं बचाव में ऐसा कथन करें कि उसने जाति पंचायत एवं विवाह का विघटन पक्षकार को शासित करने वाली रूडी के अनुसार प्राप्त कर लिया है इसलिए विवाह विद्यमान नहीं है। अधिनियम जो हिंदुओं में विवाद की चर्चा करता है, पंचायत के निर्णय के द्वारा पक्षकारों के बीच विवाह पूर्व में ही विघटित हो चुका इसके दावा या बचाव के निर्णय के लिए कोई उपबंध नहीं करता है। ऐसा न्याय निर्णय केवल सिविल न्यायालय के द्वारा ही प्रदान किया जा सकता है वैवाहिक न्यायालय से प्राप्त नहीं किया जा सकता।
1980 एआईआर (राजस्थान) 57



अंतिम बार एक साथ निवास - - विवाह के बाद पति और पत्नी प्रारंभ में एक साथ केवल 4 दिन पति के यहां रहे उसके बाद पति कभी-कभी अपने ससुराल जाकर पत्नी के साथ रहा तो इस धारा के प्रयोजन के लिए यह नहीं कहा जा सकता कि पति पत्नी दोनों ने ही पति के ससुराल में अंतिम बार साथ निवास किया। इसलिए पत्ती के ससुराल के स्थान को अंतिम बार एक साथ निवास नहीं माना जाएगा और उस स्थान को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं होगा।
1973 एआईआर (पंजाब) 256

पति पत्नी का अलग अलग निवास - - पति और पत्नी की अलग-अलग नौकरी थी इसलिए दोनों का निवास अलग अलग था किंतु एक दूसरे के पास जाकर रहते थे और निवास करते थे इसलिए उनका उस स्थान मे निवास माना जाएगा।
1984 एआईआर (पंजाब) 305

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 19 से 28  में हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत प्रार्थना पत्र किस न्यायालय में प्रस्तुत किए जाएंगे तथा कौनसे न्यायालय को सुनवाई का अधिकार प्राप्त होगा व प्रार्थना पत्र पेश होने के पश्चात उस पर क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस संबंध में उपबंध  किए गए हैं। इस संबंध में किए गए अन्य उपबंध का विस्तृत विवेचन आगामी पोस्ट में किया जाएगा। सिविल विधि के अंतर्गत तमाम पोस्ट के अध्ययन केलिए सिविल एप डाउनलोड करें।







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