Other conditions for a valid adoption -विधिमान्य दत्तक की अन्य शर्ते --Section 11 THE HINDU ADOPTIONS AND MAINTENANCE ACT, 1956 - CIVIL LAW

Tuesday, April 2, 2019

Other conditions for a valid adoption -विधिमान्य दत्तक की अन्य शर्ते --Section 11 THE HINDU ADOPTIONS AND MAINTENANCE ACT, 1956

Other conditions for a valid adoption  -Section 11 THE HINDU ADOPTIONS AND MAINTENANCE ACT, 1956

विधिमान्य दत्तक की अन्य शर्ते - धारा 11 हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956







धारा-11. विधिमान्य दत्तक की अन्य शर्ते -- हर दत्तक में निम्नलिखित शर्ते पूरी की जानी होंगी :

(i) यदि पुत्र का दत्तक है तो दत्तक लेने वाले पिता या माता की, जिनके द्वारा दत्तक लिया जाए, कोई हिन्दू पुत्र, पुत्र का पुत्र या पुत्र के पुत्र का पुत्र (चाहे धर्मज रक्त नातेदारी से हो या दत्तक से) दत्तक के समय जीवित न हो;

(ii) यदि पुत्री का दत्तक है तो दत्तक लेने वाले पिता या माता की, जिनके द्वारा दत्तक लिया जाए, कोई हिन्दू पुत्री या पुत्र की पुत्री (चाहे धर्मज रक्त नातेदारी से हो या दत्तक से) दत्तक के समय जीवित न हो;

(iii) यदि दत्तक किसी पुरुष द्वारा लिया जाना है और दत्तक में लिया जाने वाला व्यक्ति नारी है तो दत्तक पिता दत्तक लिए जाने वाले व्यक्ति से आयु में कम से कम इक्कीस वर्ष बढ़ा हो;

(iv) यदि दत्तक किसी नारी द्वारा लिया जाना है और दत्तक लिया जाने वाला व्यक्ति पुरुष है तो दत्तक माता दत्तक लिए जाने वाले व्यक्ति से आयु में कम से कम इक्कीस वर्ष बढी हो ।

(v) वही अपत्य एक साथ दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा दत्तक नहीं लिया जा सकेगा;

(vi) दत्तक लिया जाने वाला अपत्य सम्पृक्त जनकों या संरक्षक द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन उस अपत्य के कुटुम्ब से जहाँ वह जन्मा हो अथवा परित्यक्त अपत्य की दशा में या ऐसे अपत्य की दशा में जिसकी जनकता ज्ञात न हो, उस स्थान या कुटुम्ब से जहाँ वह पला हो उसका दत्तक लेने वाले कुटुम्ब में उसे अन्तरित करने के आशय से वस्तुतः दिया और लिया जाएगा:

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परन्तु दत्त होमम् का किया जाना किसी दत्तक की विधिमान्यता के लिए आवश्यक नहीं होगा।


          हिंदू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 6 में विधि मान्य दत्तक संबंधी अपेक्षाएं का प्रावधान किया गया है। गोद में लेने वाले व्यक्ति को गोद लेने की पात्रता एवं गोद लेने का अधिकार होना चाहिए तथा गोद में देने वाले व्यक्ति को भी गोद मे पुत्र पुत्री देने की पात्रता होनी चाहिए तथा गोद में लिए गए पुत्र पुत्री को गोद में लिया जाने योग्य हो तथा इस अध्याय में दी गई शर्त का पालन होना चाहिए। धारा 7,8,9,10 एवम 11 में दिए गए प्रावधानों के अनुकूल लिया गया गोद ही वैध होगा  इस धारा से दी गई शर्तों के पालन में लिया गया गोद ही वेध होगा होगा। धारा 7 हिंदू पुरुष की दतक लेने की सामर्थ्य, धारा 8 में हिंदू नारी की दत्तक लेने की सामर्थ्य, धारा 9 दत्तक देने के लिए सक्षम व्यक्ति, धारा 10 में व्यक्ति जो 10 दत्तक लिये जा सकता है व धारा 11 विधि मान्य दत्तक की अन्य शर्तें के संबंध में उपबंधित किया गया है। इस प्रकार हिंदू विधि में धारा 11 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।




        धारा 11 के अंतर्गत गोद के लिए शर्तों का प्रावधान किया गया है जिसका पालन किया जाना आवश्यक है। जिस व्यक्ति का पुत्र ना हो सकता है वह पुत्र गोद में ले सकता है और पुत्री ना हो हो तो पुत्री गोद में ले सकता है। गोद पुत्री को गोद पिता से कम से कम 21 वर्ष से कम आयु की होना चाहिए तथा हिंदू नारी पुत्र गोद में ले तो गोद पुत्र को 21 वर्ष से कम की आयु का होना चाहिए। एक ही बच्चा एक साथ दो या अधिक व्यक्ति के द्वारा गोद में नहीं लिया जाना चाहिए। गोद के लिए दत्त होम जरूरी नहीं है किंतु वास्तव में बच्चे का गोद में लिया जाना है व दिया जाना आवश्यक है। विधवा यदि पुत्र या पुत्री को गोद में लेती है तो उस गोद पुत्र या पुत्री का संबंध विधवा के पति के परिवार से उसी प्रकार जुड़ जाता है जिस प्रकार प्राकृतिक पुत्र या पुत्री का होता है, इसलिए गोद पिता के सभी रिश्तेदार गोद पुत्र या पुत्री के भी रिश्तेदार बन जाते हैं।
 1970 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट)  343

दत्तक ग्रहण के लिए पुत्र का देना और लेना सबूत करना आवश्यक है अन्य विशिष्ट कार्य सबूत करना आवश्यक नहीं है। दावा करने वाले पुत्र पर प्रमाण का भार है। वर्षों से पुत्र को दत्तक पुत्र के रूप में पहचाना जाना दत्तक ग्रहण का पर्याप्त सबूत है।

लेना देना (giving & taking) साबित करना आवश्यक है - - गोद में लेने और देने का कर्म सबूत नहीं किया गया है तो गोद वेध नहीं माना जाएगा।
1993 एआईआर (उड़ीसा) 213

एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभी निर्धारित किया है कि पुत्र दत्तक में लेने के संबंध में पुत्र को देने और लेने की प्रक्रिया आवश्यक है इसके लिए कोई विशेष रीति निर्धारित नहीं की गई है।
1961 एआईआर, (सुप्रीम कोर्ट) 1378

साक्ष्य-- गोद ले जाने के संबंध में प्रस्तुत साक्ष्य को शंका से परे साबित होना चाहिए और उसमें किसी भी प्रकार धोखा दिया जाने की शंका प्रकट नहीं होना चाहिए। अग्रवाल समाज जो व्यापारिक जाति से है और जिसका दैनिक लेखा-जोखा रहता है तथा गोद पुत्र के विवाह तथा उसके द्वारा मृतक क्रिया कर्म संबंधी साक्ष्य के रूप में लेखा पुस्तक प्रस्तुत ना करना  शंकास्पद है।
1959 एआईआर (सर्वोच्च न्यायालय) 504

पागल की पत्नी द्वारा गोद - - पागल की पत्नी ने यदि गोद लिया हो और गोद लेने के संबंध में सभी बातें विधि संगत सिद्ध हो तो पत्नी द्वारा लिया गया गोद पति पत्नी दोनों के द्वारा लिया गया गोद माना जाएगा।
1970 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 343
1967 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 1741विभेदित किया गया।

गोद लेना वह दिया जाना सिद्ध किया जाना आवश्यक है-- वेद रूप से गोद लिया जाना तभी सबूत होगा जब यह सिद्ध होगा कि गोद लेने और देने का कर्म संपन्न किया गया था इस कर्म के लिए गोद देने वाले माता पिता और गोद लेने वाले माता पिता एवं गोद में लिए जाने वाले लड़के की उपस्थिति आवश्यक है। यदि गोद के दस्तावेज में गोद लेने और देने का इंद्राज हो परंतु गोद लिया जाना और गोद में दिए जाने का कर्म सबूत ना हो तो गोद वैध नहीं माना जा सकता।
1977 एआईआर (पटना) 199
1961 एआईआर (सुप्रीम कोर्ट) 1378

व्यस्क व्यक्ति की गोद-- विधिवत गोद लिए बच्चे की गोद में प्राकृतिक माता पिता के द्वारा देना(giving) और गोद के माता पिता के द्वारा लेना (,taking) आवश्यक है। शारीरिक रूप से गोद में दिया जाना चाहिए अर्थात बच्चे को गोद में बैठाना चाहिए। बच्चा अवयस्क हो या वयस्क उसे गोद में बैठाना आवश्यक है।
1973 एआईआर (राजस्थान) 7

विधिवत गोद - - विधिवत गोद के लिए होम का किया जाना आवश्यक है। यह कार्य बच्चेको गोद में ग्रहण करने और देने के पूर्व या बाद में किया जा सकता है।
1988 एआईआर (पटना) 251

वादी की मृत्यु गोद पुत्र का प्रति स्थापना- वार्ड के लंबित अवस्था में वादी की मृत्यु हो जाती है तो उसके गोद पुत्र को उसके स्थान पर प्रति स्थापित करने की अनुमति दी जा सकती है और प्रतिवादी को अतिरिक्त जवाब दावा पेश करने की अनुमति दी जा सकती है।
1986 एआईआर (कोलकाता) 23

गोद का परमाण भार-- यदि गोद लिए जाने की बात पुरानी हो तो यह संभव नहीं है कि गोद लिए जाने के सभी कर्म को कड़ाई से सिद्ध किया जा सके तथा प्रत्यक्षदर्शी गवाह का अभाव हो सकता है या उसके स्थानों में कुछ विरोधाभास भी हो सकता है इसलिए पुराने गोद के मामले इस संबंध में रियायत देते हुए विचार करना चाहिए।
1969 एआईआर (मद्रास) 329


महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय - -


( 1) दत्तक किस प्रकार से विधि मान्य हो-- यदि धार्मिक अनुष्ठान पुरा न हो तो वास्तविक सपुर्दगी सौपने को सिद्ध करना पड़ेगा।
1995 (1) DNJ (Raj) 64

(2) राजकीय सेवा में रहते हुए मृत्यु के कारण प्रतिवादी की सेवा में भर्ती के नियम, 1975 - - नियम 2 (परन्तुक)- मृतक का दत्तक पुत्र अपिलांट है-- राजकीय कर्मचारी के देहांत के समय तक अपिलांट का जन्म तक नहीं हुआ था - नियमों के अंतर्गत अपिलांट ही सबसे निकट संबंधी है-- नियमों के अंतर्गत  अपिलांट ही हक़दार हैं- अभी निर्धारित, रेस्पोंडेंट को आदेश है की स्वीकृति हेतु याचिका प्रेषित करें।
1995 (1) DNJ (Raj) 97

( 3) सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 - - धारा 96 - गोद पुत्र के रूप में पोषण हेतु वादे विचरण न्यायालय द्वारा खारिज किया गया - गोद के समय वादी 16 वर्ष की आयु का था - रिवाज या प्रथा का अभिवचन नहीं किया ना साबित किया - वादी ने बयान किया कि उसे 1 .4. 1984 को गोद लिया गया लेकिन बाद में कुछ विवाद हुआ - विवाद के निपटारे के बाद दस्तावेज प्रदर्श 1 गोदनामा निष्पादित किया गया-- धारा 16 के प्रावधान की अपालना- - प्राकृतिक माता व गोद माता ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए-- कानून की दृष्टि में गोद वेध नहीं- प्राकृतिक माता को साक्षी में पेश नहीं किया और यह तात्विक लोप है-- धारा 5 के प्रावधान का उल्लंघन- निर्णय- अपील सारहीन है व खारिज की।
2015 (2) डीएनजे (राजस्थान) 552

(4) धारा 10 दत्तक ग्रहण - यह अभी कथित किया गया कि प्रतिवादी संख्या 1  को वादी ने पुत्र के रूप में दत्तक ग्रहण किया - - अभी कथित दत्तक ग्रहण के समय प्रतिवादी संख्या 1 लगभग 22 वर्ष की आयु का था - - पक्षकारों में किसी ऐसी प्रथा या रीति के लागू होने के बारे में कोई साक्ष्य नहीं है जिसके द्वारा 15 वर्ष से ज्यादा आयु के व्यक्ति का दत्तक ग्रहण अनुज्ञेय हो -- स्वयं दत्तक ग्रहण का तथ्य भी सिद्ध नहीं हुआ - निर्णित, प्रतिवादी यह सिद्ध करने में विफल रहे कि प्रतिवादी संख्या 1 को वादी ने  दत्तक लिया  तथा यह वेध दत्तक ग्रहण था।
2004 (2) डीएनजे (राजस्थान) 533

( 5) पत्नी द्वारा दत्तक ग्रहण - वैधता - पत्नी तलाक सुदा नहीं थी पता तलाक की तरह ही अलग निवास कर रही थी - पति और पत्नी के मध्य औपचारिक रूप से तलाक नहीं हुआ था -  पत्नी द्वारा लिया गया दत्तक ग्रहण वैध नहीं है।
2008 (1) डीएनजे (सुप्रीम कोर्ट) 114

(6) गोदना की वैधता-- वादी उसके पिता pw1 द्वारा गोद लिया गया-- "एस" की माता गोदनामा  में पक्षकार नहीं थी- गोद के आधार पर संपत्ति पर अधिकार होने का दावा किया-" एस" pw1 का अकेला पुत्र था- गोद ,लेने वाली माता का कोई संबंधी मौजूद नहीं था-- गोद की रस्म के गवाहों को ' देना व लेने ' साबित करने हेतु पेश नहीं किया-' देना व लेने 'के संबंध में विरोधाभासी साक्ष्य-- वादी उसका गोद जाना व
' देना व लेना रस्म 'साबित करने में असफल रहा- माता की बिना समिति के 'एस' गोद दिया गया-- विधि अनुसार गोद नहीं दिया गया- गोद जाना साबित नहीं हुआ-- वादी के पक्ष में वेध गोद की उपधारणा नहीं की जा सकती। निर्णित- वादा असफल हुआ तथा निर्णय व डिक्री को अपास्त किया।
2009 (2)  DNJ (Raj) 720



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