विशेष विवाहो का अनुष्ठान - विशेष विवाह अधिनियम 1954 -
(धारा 4 से 14)
Solemnization of special marriages.-Special Marriage Act.1954 (Sec. 4 to 14)
विवाह के अनुष्ठापन किसी किसी अन्य तत्समय प्रवत्त विधि मैं किसी बात के होते हुए भी, किन्ही दो व्यक्तियों का इस अधिनियम के अधीन यह अनुष्ठापित किया जा सकेगा यदि उस विवाह के समय निम्नलिखित शर्तें पूरी हो जाती है अर्थात -
(क) किसी प्रकार का पति या पत्नी जीवित नहीं है;
(ख) कोई प्रकार जड़ या पागल नहीं है;
(ग) पुरुष ने 21 वर्ष की आयु और स्त्री ने 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है;
(घ) पक्षकारों में प्रतिषिद्ध कोटी की नातेदारी नहीं है;
परंतु जहां कम से कम एक पक्षकार को शासित करने वाली रूढ़ि उनमें विवाह अनुज्ञात करें वहां ऐसा विवाह उनमें प्रतिषिद्ध कोटी कि नातेदारी होते हुए भी अनुष्ठापित किया जा सकेगा, तथा
(ड़) जहां विवाह जम्मू कश्मीर राज्य में अनुष्ठापित किया गया है वहां अधिवसित भारत के नागरिक हैं।
स्पष्टीकरण - एक धारा के किसी जनजाति, समुदाय, समूह या कुटुम के किसी व्यक्ति के संबंध में रूढ़ि से कोई ऐसा नियम अभिप्रेत है जिसे राज्य सरकार उस जनजाति, समुदाय, समूह या कुटुंबम के सदस्य को लागू नियम के रूप में, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करें -
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परंतु किसी जनजाति, समुदाय, समूह या कुटुम के सदस्य के संबंध में ऐसी कोई अधिसूचना तब तक जारी नहीं की जाएगी जब तक राज्य सरकार को यह समाधान ना हो जाए कि -
(1) उस नियम का अनुपालन उन सदस्यों में लगातार और एकरूपता के साथ होता रहा है;
(2) वह नियम निश्चित है और अयुक्ति युक्त या लोकनीति के विरुद्ध नहीं है; तथा
(3) वह नियम केवल कुटुंब को लागू होने की दशा में, उस कुटुंब द्वारा उसका अनुपालन बंद नहीं किया गया है।
धारा 5 - आशयित विवाह की सूचना- जब किसी विवाह का इस अधिनियम के अधीन अनुष्ठापन आशयित हो तब विवाह के पक्षकार द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रारूप मैं उसकी लिखित सूचना उस जिला के विवाह अधिकारी को देंगे। जिसमें विवाह के पक्षकारों मैं से कम से कम एक ने उस सूचना के दिए जाने की तारीख से ठीक पहले 30 दिन के अन्यून की कालावधि तक निवास किया हो।
धारा 6 - विवाह सूचना पुस्तक और प्रकाशन -
( 1) विवाह अधिकारी धारा 5 के अधीन दी गई सब सूचनाओं को अपने कार्यालय के साथ रखेगा और ऐसी प्रत्यय सूचना की एक सही प्रतिलिपि भी उस प्रयोजन विहित पुस्तक में , जो विवाह सूचना पुस्तक कहीं जाएगी, तत्काल प्रविष्ट करेगा तथा अभिलेख ऐसी पुस्तक उसके निरीक्षण के इच्छुक व्यक्ति द्वारा बिना फीस के निरीक्षण के लिए सभी उचित समय पर उपलब्ध रहेगी।
(2) विवाह अधिकारी प्रत्येक ऐसी सूचना का प्रकाशन उसकी एक प्रतिलिपि अपने कार्यालय के किसी सहज स्थान पर लगवा कर कर कराएगा।
(3) जहां आशयित विवाह के पक्षकारों में से कोई उस विवाह अधिकारी के, जिससे धारा 5 के अधीन सूचना दी गई हो, जिले की स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थाई रूप से निवास ना करता हो वहां विवाह अधिकारि उस सूचना की प्रतिलिपि उस जिले के अधिकारी को भी भिजवाएगा जिसकी सीमाओं के भीतर ऐसा पक्षकार स्थाई रूप से निवास करता हो और तब वह विवाह अधिकारी उसकी प्रतिलिपि अपने कार्यालय के किसी सहज दृश्य स्थान पर लगवाएगा।
धारा 7 -- विवाह के प्रति आक्षेप -
(1) धारा 6 की उप धारा( 2) के अधीन सूचना के प्रकाशन की तारीख से 30 दिन की समाप्ति के पूर्व व्यक्ति उस विवाह के प्रति इस आधार पर आक्षेप कर सकेगा की वह धारा 4 में विनिर्दिष्ट किसी एक या अधिक शर्तों का उल्लंघन करेगा।
(2) उस तारीख से, जबआशयित विवाह की सूचना धारा 6 की उप धारा( 2 )के अधीन प्रकाशित की गई हो, 30 दिन की समाप्ति के पश्चात वह विवाह, जब तक उसके प्रति पहले ही उपधारा(1) के अधीन आक्षेप नहीं कर दिया गया हो, अनुष्ठापित किया जा सकेगा।
(3) आक्षेप की प्रकृति विवाह अधिकारी द्वारा विवाह सूचना पुस्तक मे लेखबद्ध की जाएगी, यदि आवश्यक हो तो आक्षेप करने वाले व्यक्ति पढ़कर सुनाई वह समझाई जाएगी और उस व्यक्ति द्वारा उसकी ओर से हस्ताक्षर किए जाएंगे।
धारा 8 -- यदि आशयित विवाह के प्रति धारा 7 के अधीन आक्षेप किया जाता है विवाह अधिकारी वह विवाह तब तक अनुष्ठापित्त न करेगा जब तक वह उस आक्षेप के विषय में जांच ना कर ले और उसका समाधान ना हो जाए कि वह आक्षेप ऐसा नहीं है की विवाह अनुष्ठापित ना किया जाए या जब तक उस व्यक्ति द्वारा, जिसने आक्षेप क्या हो, वह आक्षेप वापस ना ले लिया जाए, किंतु विवाह अधिकारी
आक्षेप के विषय में जांच करने और उसका विनिश्चय करने मेंआक्षेप की तारीख से 30 दिन से अधिक नहीं लगाएगा।
(2) यदि विवाह अधिकारीआक्षेप को ठीक ठहराता है और इस विवाह को अनुस्ठापित करने से इंकार करता है तोआशयित विवाह का कोई पक्षकार ऐसे इंकार की तारीख से 30 दिन की कालावधि के भीतर उस जिला न्यायालय मैं अपील कर सकेगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमा के भीतर उस विवाह अधिकारी का कार्यालय हो और उस अपील में जिला न्यायालय का विनिश्चय अंतिम होगा तथा विवाह अधिकारी उस न्यायालय के विनिश्चय के अनुरूप कार्य करेगा।
धारा 9 - जांच के बारे में विवाह अधिकारियों की शक्तियां -
(1) धारा 8 के अधीन किसी जांच के प्रयोजन के लिए विवाह अधिकारी को निम्नलिखित विषयों की बाबत, अर्थात
(क) साक्षियों को समन करने और उनको हाजिर कराने तथा शपथ पर उनकी परीक्षा करने;
(ख) प्रकटीकरण और निरीक्षण;
(ग) दस्तावेज पेश करने के लिए विवश करने ;
(घ) शपथ पत्रों पर साक्ष्य लेना;
(ड़) साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालने;
की बाबत, वही शक्तियां होगी जो वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय मैं सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन निहित होती है और विवाह अधिकारी के समक्ष कोई कार्यवाही भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के अर्थ में न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी।
स्पष्टीकरण-- विवाह अधिकारी की अधिकारिता की स्थानीय सीमाएं ही किसी व्यक्ति के साक्ष्य देने के लिए हाजिर कराने के प्रयोजन के लिए उस अधिकारी के जिले की स्थानीय सीमाएं होगी।
यदि विवाह अधिकारी को यह प्रतीत होता है कि आशयित विवाह के प्रति किया गया आक्षेप उचित नहीं है और सद्भावपूर्वक नहीं किया गया है तो वहआक्षेप करने वाले व्यक्ति पर प्रतिकार के रूप में खर्चा अधिरोपित कर सकेगा, जो 1000 रुपए से अधिक ना होगा, और संपूर्ण राशि या उसका कोई भाग आशयित विवाह के पक्षकारों को दिलवा सकेगा तथा खर्च के बारे में इस प्रकार दिया गया कोई आदेश उसी रीती से निष्पादित किया जा सकेगा जिससे उस जिला न्यायालय द्वारा पारित डिक्री की जाती हो जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर विवाह अधिकारी का कार्यालय हो।
( 10) - बाहर के विवाह अधिकारी कोआक्षेप होने पर प्रक्रिया: -
जहां जम्मू कश्मीर राज्य में आशयित विवाह के बारे में कोईआक्षेप उस राज्य में विवाह अधिकारी से धारा 7 में किया जाए और विवाह अधिकारी के मन में उस विवाह मैं ऐसी जांच करने के पश्चात जैसा आप ठीक समझें, इस बाबत शंका बनी रहे वहां का विवाह अनुष्ठापित नहीं करेगा, किंतु उस विषय में ऐसे कथन के साथ जैसा वह ठीक समझे अभिलेख केंद्रीय सरकार को भेजेगा और केंद्रीय सरकार उस विषय में ऐसी जांच करने के पश्चात और ऐसी सलाह अभीप्राप्त करने के पश्चात, जैसा वह ठीक समझे, उस पर अपना विनिश्चय रूप में विवाह अधिकारी को देगी, जो केंद्रीय सरकार के विनिश्चय के अनुरूप कार्य करेगा।
(11) पक्षकारों तथा साक्ष्यो द्वारा घोषणा-- विवाह का अनुष्ठान होने के पूर्व पक्षकार और तीन साक्षी इस अधिनियम की तृतीय अनुसूची मैं विनिर्दिष्ट प्रारूप मैं घोषणा पर हस्ताक्षर विवाह अधिकारी की उपस्थिति मैं करेंगे तथा घोषणा पर विवाह अधिकारी प्रतिहस्ताक्षर करेगा।
(12) अनुष्ठान का स्थान और रू - (1) विवाह, विवाह अधिकारी के कार्यालय में या वहां से उचित दूरी के भीतर ऐसे अन्य स्थान पर, जैसा दोनों पक्षकार चाहिए और ऐसी शर्तों पर तथा ऐसी अतिरिक्त फीस देने पर, जिन्हें विहित किया जाए, अनुष्ठापित किया जा सकेगा।
(2) विवाह किसी भी रुप में, जिससे पक्षकार अपनाना पसंद करें, अनुष्ठापित किया जा सकेगा:--
परंतु जब तक प्रत्येक पक्ष कार दूसरे प्रकार से विवाह अधिकारी और तीन साक्ष्यो की उपस्थिति मैं तथा ऐसी भाषा मैं जिसे पक्षकार समझ सके यह न कहे की " मैं (क) तुम (ख) को अपने विधि पुर्ण पत्नी स्वीकार करता हूं (या अपना विधि पूर्ण पति स्वीकार करती हूं) जब तक वह पूर्ण और पक्षकारों आबद्ध करना होगा।
धारा 13 -
(1) जब विवाह अनुस्थापित हो जाए तब विवाह अधिकारी चतुर्थ अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रारूप मैं उसका प्रमाण पत्र उस प्रयोजन के लिए अपने द्वारा रखी गई पुस्तक मैं प्रविष्ट करेगा, जो विवाह प्रमाण पत्र पुस्तक कहीं जाएगी, और ऐसे प्रमाण पत्र पर विवाह के पक्षकार और तीनो साक्षी हस्ताक्षर करेंगे।
(2) विवाह प्रमाण पत्र पुस्तक में विवाह अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र प्रविष्ट किए जाने पर वह प्रमाण पत्र इस तथ्य का निश्चायक साक्ष्य समझा जाएगा कि इस अधिनियम के अधीन विवाह अनुष्ठापित हो गया है।
धारा 14-- तीन मास के भीतर विवाह का अनुष्ठापन ना होने पर नई सूचना का दिया जाना - जब किसी विवाह का अनुस्थापन उस तारीख से, जब उसकी सूचना विवाह अधिकारी को धारा 5 द्वारा अपेक्षित रूप से दी गई हो, 3 कैलेंडर मास के भीतर अथवा जहां धारा 8 की उपधारा (2) के अधीन अपील फाइल की गई हो वहां उस अपील पर जिला न्यायालय के विनिश्चय की तारीख से 3 मास के भीतर, अथवा जहां धारा 10 के अधीन किसी मामले का अभिलेख केंद्रीय सरकार को भेजा गया हो वहां केंद्रीय सरकार के विनिश्चय की तारीख से 3 मास के भीतर, नहीं होता तब वह सूचना और उससे पैदा होने वाली सब अन्य कार्यवाहियां वयपगत हुई समझी जाएगी और जब तक इस अधिनियम में दी गई रीति से नई सूचना नहीं दी जाती कोई विवाह अधिकारी उस विवाह का अनुष्ठापन नहीं कर सकेगा।
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