Disposal Of The Suit At The First Hearing--Order 15 CPC.( प्रथम सुनवाई में वाद का निपटारा- आदेश 15 सी. पी. सी.) - CIVIL LAW

Friday, March 17, 2017

Disposal Of The Suit At The First Hearing--Order 15 CPC.( प्रथम सुनवाई में वाद का निपटारा- आदेश 15 सी. पी. सी.)

Disposal Of The Suit At The First Hearing
Order 15 CPC.
प्रथम सुनवाई में वाद का निपटारा-
आदेश 15 सी. पी. सी.

 सिविल वादों की सुनवाई बाबत यह कहा जाता है कि कार्यवाही बहुत लम्बी होती है। ऐसी धारणा आम है कि कभी कभी न्याय दूसरी पीढ़ी को ही प्राप्त होगा। परन्तु यह उस प्रकरण में होता है जब वाद की विषय वस्तु में कोई गम्भीर व क़ानूनी प्रश्न अन्तर्विष्ट हो।इसी कारण सहिंता में समय समय पर संशोधन किये गये है। हर वाद में ऐसा नहीं होता है। किसी वाद का निपटारा उसकी प्रथम सुनवाई पर ही हो जाता है। इस सम्बन्ध में संहिता के आदेश 15 में उपबन्ध किये गये है--

आदेश 15 नियम 1 सी. पी. सी.-

जहा वाद की प्रथम सुनवाई में यह प्रतीत होता है कि विधि के या तथ्य के किसी प्रश्न पर पक्षकारो में विवाद नहीं है वहा न्यायालय तुरन्त ही निर्णय सुना सकेगा।
2. (1) जहा कई प्रतिवादियों में से किसी एक का विवाद नही है--जहाँ एक से अधिक प्रतिवादी है और प्रतिवादियों में से किसी एक विधि के या तथ्य के किसी प्रश्न पर वादी से विवाद नही है वहा न्यायालय ऐसे प्रतिवादी के पक्ष में या उसके विरुद्ध चलेगा।
(2) जब कभी इस नियम के अधीन निर्णय सुनाया जाता है तब ऐसे निर्णय के अनुसार डिक्री तैयार की जायेगी और डिक्री में वही दिनांक दी जायेगी जिस दिनांक को निर्णय सुनाया गया था।
3. जब पक्षकारों में विवाद है--
(1) जहा पक्षकारों में विधि के या तथ्य के प्रश्न पर विवाद है और न्यायालय ने इसके पूर्व उपबंधित रूप से विवाद्यको की विरचना कर ली है वहा, यदि न्यायालय को यह समाधान हो जाता है कि विवाद्यको में से ऐसे विवाद्यको के लिए जो वाद के विनिश्चय के लिये पर्याप्त है,जो तर्क या साक्ष्य पक्षकार तुरन्त ही दे सकते है उसके सिवाय कोई अतिरिक्त तर्क या साक्ष्य अपेक्षित नहीं है और वाद में तुरन्त ही आगे की कार्यवाही करने से कोई अन्याय नहीं होगा तो, न्यायालय ऐसे विवाद्यको के अवधारण के लिये अग्रसर हो सकेगा और यदि उनसे सम्बन्धित निष्कृष विनिश्चय के लिये पर्याप्त है तो वह तदनुसार निर्णय सुना सकेगा चाहे समन केवल विवाद्यको के स्थरीकरण के लिए निकाला गया हो या वाद के अंतिम निपटारे के लिए:
    परन्तु जहा समन केवल विवाद्यको के स्थिरीकरण के लिये ही निकाला गया है वहां यह तब किया जायेगा जब पक्षकार या उनके अधिवक्ता उपस्थित हो और उनमें से कोई आक्षेप नहीं करता हो।
(2) जहा निष्कर्ष विनिश्चय के लिए पर्याप्त नही है वहा न्यायालय वाद की आगे की सुनवाई नियत करेगा और ऐसे अतिरिक्त साक्ष्य को पेश करने के लिये या ऐसे तर्क के लिए दिन नियत करेगा जो मामले में अपेक्षित हो।
4.  साक्ष्य पेश करने में असफलता--जहा समन वाद के अन्तिम निपटारे के लिये निकाला गया है और दोनों में से कोई भी पक्षकार वह साक्ष्य पेश करने में पर्याप्त हेतुक के बिना असफल रहता है जिस पर वह निर्भर करता है वहां न्यायालय तुरन्त ही निर्णय सुना सकेगा या यदि वह ठीक समझता है तो विवाद्यको की विरचना और अभिलेखन के पश्चात वाद को ऐसे साक्ष्य पेश किये जाने के लिए स्थगित कर सकेगा जो ऐसे विवाद्यको पर उसके विनिश्चय के लिये आवश्यक है।
 इस प्रकार प्रथम सुनवाई पर ही वाद का निपटारा करने सम्बन्धी उपबन्ध आदेश 15 में दिए गये है।
न्यायिक प्रक्रिया में मामलो के शीघ्र निस्तारण हेतु अत्यन्त ही महत्वपूर्ण उपबन्ध है।
1. जहा प्रतिवादी ने वादग्रस्त सम्पति के भाग को सयुक्त परिवार की सम्पति होने की स्वीकृति दी तथा बाद में जबाब दावे में संशोधन के जरिये स्वीकृति वापिस ले ली।उक्त संशोधन को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
AIR 1998 SC 618
1998(1) RLW 70
2. संविदा की विर्निदिष्ट पालना के मामले में समझौता डिक्री--पक्षकारो के मध्य समझौते से संतुष्टि की पक्षकारो के मध्य कोई विवाद नहीं। न्यायालय सामान्य
प्रक्रिया के बिना डिक्री प्रदान कर सकता है तथा ऐसी स्थिति में विवाद्यक बनाये जाने आवश्यक नहीं है।
AIR 1994 A. P. 301
3. आदेश 15 नियम 5 के उपबन्ध आज्ञात्मक नहीं है तथा विवेकाधीन है।
AIR 1986 All. 90
4. यदि किरायेदार जानबूझ कर मामले को लम्बा करने की नियत से किराया जमा नहीं करवाता है तो नियम के अन्तर्गत उसके प्रतिरक्षा के अधिकार को समाप्त किया जाना ही न्यायसंगत है।
AIR 1983 All 396
5. वाद की सुनवाई की तिथि वाद पदों के निस्तारण के लिये निश्चित की जाती है तो नियम 3 लागू किया जा सकता है।
AIR 1956 Bom. 721

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