Judgement on admission-Order 12 Rule 6 CPC.स्वीकृतियों के आधार पर निर्णय--आदेश 12नियम 6 सी. पी. सी.
वाद के निस्तारण में स्वीकृतियों का अत्यन्त महत्व होता है। स्वीकृत किये गए तथ्यों या दस्तावेजों को साक्ष्य से साबित करने की आवश्यकता नहीं रह जाती है।न्यायालय स्वीकृति के आधार पर वाद का निर्णय सुनाने के लिये अग्रसर हो सकता है। सहिंता के आदेश 12 में ऐसी स्वीकृतियो के बारे में उपबन्ध किये गये है।इस आदेश का नियम 6 महत्वपूर्ण उपबन्ध है जो सहिंता में निम्न है--
आदेश 12 नियम 6 सी. पी. सी.--
(1) जहाँ अभिवचन में या अन्यथा चाहे मौखिक रूप से या लिखित रूप में तथ्य की स्वीकृतियां की जा चुकी है वहां न्यायालय वाद के किसी प्रक्रम में या तो किसी पक्षकार के आवेदन पर या स्वप्रेरणा से और पक्षकारों के बीच किसी अन्य प्रशन के अवधारण की प्रतीक्षा किये बिना ऐसी स्वीकृतियो को ध्यान में रखते हुए ऐसा आदेश या ऐसा निर्णय कर सकेगा जो वह ठीक समझे।
(2) जब कभी नियम (1) अधीन निर्णय सुनाया जाता है तब निर्णय के अनुसार डिक्री तैयार की जायेगी और डिक्री में वही दिनांक दी जायेगी जिस दिनांक को उक्त निर्णय सुनाया गया था।
इस नियम के अंतर्गत न्यायालय को स्वीकृतियो के आधार पर वाद के किसी प्रक्रम पर निर्णय पारित किए जाने के सम्बन्ध में व्यापक शक्तियां प्रदान की गयी है।इस नियम का मुख्य उदेश्य पक्षकारो को शीघ्र न्याय प्रदान करना है।
: आदेश 12 नियम 6 बाबत महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय---
1. जहाँ बिना पंजियन बेचान के आधार पर वाद पेश किया गया।निर्णीत--वादी के पक्ष में डिक्री प्रदान नहीं की जा सकती भले ही प्रतिवादी ने वादपत्र और बेचान को स्वीकार कर लिया हो।
1994 AIR NOC 150 AP
2. पक्षकारो के मध्य तीन वर्ष की लीज हुई।उक्त अवधि पश्चात लीज चालू नहीं रह सकती है।बिना पंजियन नवीनीकरण वैध नहीं।जिससे धारा 106 सम्पति अंतरण अधिनियम के अन्तर्गत एक माह की सुचना लीज समाप्ति की न्यायसंगत मानी गयी।
AIR 1999 Del. 377
3. प्रतिवादी ने जबाब दावा में वादपत्र को स्वीकार किया।जबाब दावे में स्वीकृति के आधार पर वाद डिक्री किया।इस डिक्री में अधिकार पहलीबार प्राप्त हुए।भारतीय पंजियन अधिनियम के अन्तर्गत डिक्री का पंजीयन आवश्यक है।
AIR 1996 SC 196
4.यह उपबन्ध आज्ञात्मक नहीं है।
2015 (1)DNJ (SC) 238
5. स्वीकारोक्ति के आधार पर निर्णय सुनाने हेतु आवेदन--विचारण न्यायालय ने आवेदन ख़ारिज किया-- प्रतिवादीगण याचीगण ने आवेदन पेश कर वादी गण के गवाह परीक्षित करने से रोकने की प्रार्थना की--आवेदन ख़ारिज किया-- नियम 6 के अन्तर्गत वादी को मामला चलाने का वर्जन नहीं। निर्णीत--आदेश में अवैधता या प्रतिकूलता नहीं है।
2014 (3) DNJ (Raj)1058
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