ORDER 9 RULE 9 CPC
Decree against plaintiff by default bars fresh suit
आदेश 9 नियम 9 - चूक के कारण वादी के विरूद्ध पारित डिक्री नये वाद का वर्जन करती हैं -
(1) जहां वाद नियम 8 के अधीन पूर्णतः या भागतः ख़ारिज कर दिया जाता है और वादी उपसंजात नहीं होता है वहां वादी उसी वाद हेतुक के लिए नया वाद लाने से प्रवारित हो जायेगा।किन्तु वह खारीजी के आदेश को अपास्त करने के लिए आवेदन कर सकेगा।
(2) इस नियम के अधीन कोई आदेश तब तक नहीं किया जायेगा जब तक की आवेदन की सुचना की तामील विरोधी पक्षकार पर न कर दी हो।
इस नियम के अध्ययन से स्पष्ट है कि यदि नियम 8 के अधीन वाद ख़ारिज होता है तो वादी उसी वाद हेतुक पर नया वाद नहीं ला सकता है।जबकि नियम 2 व 3 तथा 5 के अधीन किये गये वाद ख़ारिज के आदेश होने पर वादी नया वाद भी ला सकता है।यहाँ नियम 8 का उल्लेख आवश्यक है जो निम्न है-
नियम 8 - जहा केवल प्रतिवादी उपसंजात होता हैं वहा प्रक्रियां-
नियत तारीख को प्रतिवादी उपस्थित होता हैं और वादी उपस्थित नही होता हैं वह न्यायालय आदेश करेगा की वाद को ख़ारिज किया जाये | किन्तु यदि प्रतिवादी दावे या उसके भाग को स्वीकार कर लेता हैं तो न्यायालय ऐसी स्वीकृति पर प्रतिवादी के विरूद्ध डिक्री पारित करेगा और जहां दावे का केवल भाग ही स्वीकार किया हैं वहा वाद को वहा तक ख़ारिज करेगा जहा तक उसका सम्बन्ध अविशिष्ट दावे से हैं।
नियम 9 के अन्य उपबंध के अध्यन के लिए यहां Click करे।
नियम 8 के अंतर्गत यदि न्यायालय कोई वाद ख़ारिज करने का आदेश पारित करता है वहां वादी के पास एक मात्र उपचार उस खारीजी के आदेश को अपास्त करवाकर वाद को पुनर्स्थापित कर वाद की सुनवाई कराना है।यह उपबंध ऐसे ख़ारिज किये वाद बाबत उसी हेतुक पर नया वाद लाने से वादी को रोकती है।
वाद ख़ारिज के आदेश को अपास्त करने की शर्तें--
(1) वादी इस आशय का आवेदन करेगा कि नियत सुनवाई के रोज उसकी अनुपस्थति का पर्याप्त हेतुक था।
(2) न्यायालय को अनुपस्थति बाबत दिये कारणों से संतुष्टि होनी चाहिये।
(3) प्रार्थना पत्र के साथ किये गये कथनो के समर्थन में शपथ पत्र या दस्तावेज यदि हो तो प्रस्तुत करना चाहिये।
(4)आदेश को अपास्त करना न्यायालय का विवेकाधीन है।
(5) न्यायायलय आदेश अपास्त करते समय वादी पर खर्चा का आदेश दे सकेगा जो वह न्यायोचित समझे।
(6)विरोधी पक्षकार को सुनवाई का नोटिस दिया जाना आवश्यक होगा।
यदि न्यायालय आदेश 9 के अधीन प्रस्तुत किये आवेदन को अस्वीकार कर देता है तो आदेश 43 नियम 1.(ग़) के अंतर्गत वादी उस आदेश के विरुद्ध अपील कर सकता है।परंतु यदि न्यायालय वादी के आदेश 9 के अंतर्गत आवेदन को स्वीकार कर लेता है तो प्रतिवादी आदेश 43 के अंतर्गत अपील नहीं कर सकेगा।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ठ है कि वादों के विचारण में यह महत्वपूर्ण उपबंध है। इस संबंध में निम्न न्यायिक महत्वपूर्ण निर्णय इस उपबंध को समझने के लिए दिए जा रहे है--
1. यदि किसी मामले में प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय सुनवाई का आदेश दिया जा चूका हो तब मामले के किसी प्रक्रम पर सूचना की आवश्यकता नहीं है।ऐसे मामले में आदेश 9 नियम 9 के अधीन भी सुचना आवश्यक नहीं है।
AIR 1988 Raj. 201
(2) आवेदन प्रतुत करने की परिसीमा आर्टिकल 137 लागु होगा न कि आर्टिकल 127 लागु होगा।
AIR 1994 NOC 148 (All)
(3) हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत वाद पूर्ण या भागतः आदेश 9 नियम 8 के अंतर्गत ख़ारिज होने पर वादी उसी हेतुक पर नया वाद नहीं ला सकेगा। यह उपबंध हिन्दू विवाह अधिनियम के अधीन कार्यवाहियों में भी लागू होता है।
AIR 1991 Ker.362
(4) प्रार्थना पत्र में विरोधाभाषी कथन- अपिलान्ट्स की लापरवाही थी।परिसीमा के बाहर लापरवाही उपश्मित नहीं की जा सकती--
निर्णीत- अपील खारिज की गयी। 2013 (4) DNJ (Raj) 1693
5.जहा वादी द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करने में असफल रहने पर वाद ख़ारिज किया गया हो तब मेरिट पर तय होना नहीं माना जा सकता है।आदेश 9 नियम 9 के उपबंध लागु होंगे।खारीजी का आदेश O 17 Rule 2 के अंतर्गत हुआ न की नियम 3 के अंतर्गत।
AIR 1994 Noc. 77 (Gau)
6.प्राथी ने बीमारी का युक्तियुक्त एवम सदभावी कारण आवेदन में प्रकट किया।शपथपत्र व चिकित्सा का प्रमाण पत्र भी पेश किया।अधिवक्ता की गलती के लिए appellant को दोषी नहीं ठहराया जा सकता-5000 रु. के खर्चे पर वाद रेस्टोरेड किया गया।
2006 (2) DNJ( Raj) 591
7. याचीगण की और से कोई उपस्थित नहीं हुआ।आवेदन चूक के कारण ख़ारिज हुआ।याचीगण ने सही तथ्य छुपाए।आर्टिकल 226 के अंतर्गत मामला नहीं बनता है।रिट याचिका खारिज की गयी।
2012 (2) DNJ (Raj.) 969
8. उत्तराधिकार याचिका खारिज की गयी। अगले दिन आवेदन पेश हुआ। आवेदन ख़ारिज किया- न्यायालय को उदार दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।जन सामान्य की और से कोई पेश नहीं।
निर्णीत--आदेश अपास्त किया और उत्तराधिकार याचिका को प्रत्यावर्तित किया।
2011 (1) DNJ (Raj.) 373
इस प्रकार यह सहिंता का एक महत्वपूर्ण उपबंध है और अंत में यह उल्लेख करना आवश्यक हैं की आदेश 9 के नियम 2,3,5 के अंतर्गत ख़ारिज किये गये पर नये वाद संस्थित किये जा सकते हैं यदि परिसीमा विधि से बाधित ना हो, परन्तु नया वाद संस्थित नही किया जा सकेगा यदि नियम 8 के अंतर्गत ख़ारिज किया गया हैं।
प्रतिवादी के विरुद्ध की गयी एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने के उपबंध संहिता के आदेश 9 नियम 13 में किये गये है उसके विस्तृत अध्ययन के लिए यहाँ Click कर पढ़े।
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