Order 9 Rule 7 CPC --Setting aside the ex-parte order.
आदेश 9 नियम 7 सी. पी. सी.
एकपक्षीय आदेशो को अपास्त किया जाना।
न्यायिक प्रक्रिया में प्रति वादी को समन की तामील सभ्यक रूप से हो जाती है तथा उसके उपरांत प्रतिवादी नियत दिनांक को न्यायालय में उपसंजात नहीं होता है तो न्यायालय नियम आदेश 6 (क) के अंतर्गत एकपक्षीय सुनवाई का आदेश दे सकता है।आदेश 9 के अन्य उपबंध की जानकारी के लिए यहां click करे।
जब न्यायालय द्वारा एकपक्षीय सुनवाई का आदेश पारित कर दिया जाता है तब प्रतिवादी न्यायालय में आवेदन शपथ पत्र सहित दे कर तथा उपसंजात नहीं होने के अच्छा हेतुक (कारण) बताने पर उसके विरुद्ध एकपक्षीय आदेश को न्यायालय से अपास्त करा सकता है। सहिंता के नियम 7 में इस बारे में व्यवस्था की गयी है जो इस प्रकार है--
नियम 7 - जहा प्रतिवादी स्थगित सुनवाई के दिन उपसंजात होता हैं और पूर्व अनुपसंजाति के लिए अच्छा कारण बताता हैं वहा प्रक्रिया -
जहां न्यायालय ने एकपक्षीय रूप से वाद की सुनवाई स्थगित कर दी हैं और प्रतिवादी ऐसी सुनवाई के दिन या पहले उपसंजात होता हैं और अपनी पूर्व अनुपसंजाति के लिए अच्छा कारण बताता हैं वहा ऐसे शर्तो पर जो न्यायालय खर्चो और अन्य बातो के बारे में निर्दिष्ट करे, उसे वाद के उत्तर में उसी भांति सुना जा सकेगा मानो वह अपनी उपसंजाति के लिए नियत किये गये दिन को उपसंजात हुआ था |
संहिता का यह महत्वपूर्ण उपबंध है।इसका उद्देश्य यह है कि किसी कारण प्रतिवादी या उसका अधिवक्ता नियत तारीख को न्यायालय में उपसंजात नहीं होने पर उसके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही का विचारण का न्यायालय आदेश पारित कर देता है तथा उस दिन उपसंजात नहीं होने का प्रतिवादी उचित कारण बताकर न्यायालय को संतुष्ठ कर देता है तो वही न्यायालय उसके द्वारा पारित आदेश को वापिस ले लेगा और कार्यवाही में उसे उसी प्रकार सुना जायेगा मानों वह नियत तारीख को उपसंजात हुआ हो।इस प्रकार इस नियम के अंतगर्त न्यायालय को अपने द्वारा पारित किये आदेश को अपास्त करने की शाक्ति प्रदान की गयी है।
कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित नही हो तथा खर्चे हर्जे से जेरबार न हो इसलिए सहिंता में प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही के पारित आदेश को अपास्त करने का विशेष उपबंध किया गया है।
इसके अध्यन से स्पष्ट है कि प्रतिवादी वाद के विचारण के किसी प्रक्रम पर एकपक्षीय कार्यवाही के आदेश को अपास्त करने का आवेदन प्रस्तुत कर सकता है।यदि न्यायालय द्वारा एकपक्षीय डिक्री प्रदान न कर दी हो।
एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने के उपबंध को यहा click कर पढ़े।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ठ है कि वादों के विचारण में यह महत्वपूर्ण उपबंध है। इस संबंध में निम्न न्यायिक महत्वपूर्ण निर्णय इस उपबंध को समझने के लिए दिए जा रहे है--
1.एकपक्षीय आदेश को अपास्त करने का प्राथना पत्र बहस की स्टेज पर दिया गया।बहस पूर्ण नहीं हो सकी थी।इस स्टेज पर दिए गए
प्राथना पत्र और उस पर एकपक्षीय आदेश को अपास्त करने के आदेश को अवैध (illegal) नहीं है।
AIR 2002 All. 360
2. एकपक्षीय कार्यवाही--एकपक्षीय कार्यवाही को अपास्त करने का प्राथना पत्र ख़ारिज हुआ।उत्तरवर्ती वादी द्वारा वादपत्र के संशोधन का प्रार्थना पत्र स्वीकार हुआ।प्रतिवादी ने अतिरिक्त लिखित कथन हेतु नया आवेदन पेश किया।अभिनिर्धारित-
पूर्व न्याय के सिद्धान्त के अनुसार प्रतिवादी का प्रार्थना पत्र वर्जित है।
AIR 2001 All.78
3. प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत आवेदन में वर्णित आधारों को उसकी उपसंजात नहीं होने को अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अस्वीकार किया गया।अभिनिर्धारित--अपने वाद की पैरवी करने में प्रतिवादी सजग है तथा कोई कारण नहीं है कि वह जानबूझकर अनुपस्थित रहेगा।विचारण न्यायायलय ने प्रतिवादी के अनुपस्थित असावधानी पूर्वक रहने की उपधारणा करने में त्रुटि की है।एक पक्षीय कार्यवाही का आदेश 500 रूपये कॉस्ट पर अपास्त किया।
1999 (2)DNJ (Raj.) 769
4. आदेश 39 नियम 7 के मामले में न्यायालय ने कोई आदेश नहीं दिया।यही आदेश दिया कि एक पक्षीय कार्यवाही की जावे।प्राथी बिना कोई आवेदन दिए कार्यवाही में भाग ले सकेगा।
1995 (2) Raj. 372
5. आवेदन इस आधार पर दिया की मामले की जानकारी 19.09.2009 को हुई। सही पते पर भेजा गया रजिस्टर्ड पत्र स्वीकार करने से प्रार्थिया ने इंकार किया। यह सही नहीं है कि प्रार्थिया को नोटिस तामील नहीं हुआ।यदि आदेश 5 नियम 9 की प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया तब भी प्रार्थिया पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं।बचाव कूटरचित है--
निर्णीत- आवेदन ख़ारिज करने का आदेश न्यायसंगत है।
2010 (2) DNJ Raj. 721.
6. नियम 7 का विस्तार--वादी का साक्ष्य पूरा।कई मौके देने के उपरांत प्रतिवादी ने साक्ष्य पेश नहीं की।विचारण न्यायालय ने साक्ष्य बंद की।प्रार्थी ने उक्त आदेश अपास्त बाबत आवेदन दिया।अभिलेख पर यह सामग्री मौजूद है कि उक्त तिथि को प्रार्थी न्यायालय में उपस्थित होने की स्थिति में नहीं था।
निर्णीत- विचारण न्यायालय द्वारा प्रार्थी के द्वारा प्रस्तुत आदेश 9 नियम 7 के अंतर्गत आवेदन को अस्वीकार करना न्यायोचित नहीं था--विचारण न्यायालय अगली तारीख पर साक्ष्य पेश करने का अवसर देवे तथा उसके बाद कार्यवाही में अग्रसर हो।
2012 (1) DNJ Raj. 40
7. जहाँ वाद की सुनवाई पूरी हो चुकी हो। वाद निर्णय हेतु स्थगित किया हो वहां आदेश 9 नियम 7 के अंतगर्त आवेदन पोषणीय नहीं होगा।
RLW 2005 (3) SC 399
8. यह दर्शाने वाली सामग्री नहीं की वाद के लम्बित रहने के दौरान 1993 से 2010 तक अवधि में प्राथी प्रतिवादी कहाँ पर रहे।विचारण न्यायालय द्वारा आवेदन को अस्वीकार करना न्यायोचित था।
2012 (1) DNJ Raj.36
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जँहा एक पक्षीय आदेश पारित हो गया है वँहा आदेश 9 नियम 7 का प्रार्थना पत्र ख़ारिज किया जाना न्यायहित है बलबीर सिंह गोगिया एडवोकेट चैंबर न ई -91 जिला एवं सत्र न्यायालय राज नगर ग़ाज़ियाबाद
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