व्यादेश व न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियां--Injuction and Inherent Powers Of Court.Order 39 rule 1-2 & Section 151C.P.C.---अस्थाई व्यादेश देना या नहीं देना तीन स्थापित सिंद्धान्तो पर निर्भर करता है।
1. क्या प्राथी का प्रथम दृष्टया मामला है।
2.क्या सुविधा का संतुलन प्राथी के पक्ष में है।
क्या प्राथी को अपूर्तनीय क्षति होगी।
अस्थाई व्यादेश सामान्यतः इसी सिंद्धान्तो के आधार पर ही न्यायालय जारी करता है।लेकिन न्यायालय न्यायहित में उचित समझे या ऐसा अनुतोष जो आदेश 39 नियम 1व 2 की परिधि में नहीं आता है तब न्यायालय धारा 151 सी.पी. सी. के अंतर्गत अपनी अन्तर्निहित शक्तियों के अधीन अन्य आधारों पर भी व्यादेश जारी कर सकता है।सहिंता में धारा 151 महत्वपूर्ण धारा समलित की गयी है।जो निम्न है।
धारा 151सी. पी. सी.--
न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियां--इस संहिता की किसी बात के बारे में यह नहीं समझा जायेगा कि वह ऐसे आदेशो को देने की न्यायालय की अन्तर्निहित शक्ति को परिसीमित या अन्यथा प्रभावित करती है, जो न्याय के उदेश्य के लिए या न्यायालय की आदेशिका के दुरूपयोग का निवारण करने के लिए आवश्यक है।
" संहिता में कोई प्रावधान स्पष्ट वर्णित नहीं है तो न्यायालय इस धारा के अधीन जहाँ पक्षकारो को न्याय प्रदान करने के उदेश्य से निहित शक्तियों के तहत अनुतोष प्रदान कर सकते है।"
व्यादेश के मामलो में भी जहाँ आदेश 39 नियम 1 व 2 के परिधि में नहीं आने वाले मामलो में भी न्यायालय इस धारा के अंतर्गत व्यादेश प्रदान कर सकते है।
अब प्रशन यह कि आदेश 39 नियम 1 व 2 के अंतर्गत प्रस्तुत आवेदन न्यायालय द्वारा ख़ारिज करने के उपरांत भी न्यायालय अपनी अन्तर्निहित शक्तियों के अंतर्गत व्यादेश का आदेश दे सकते है।इसका जबाब है "हाँ"
माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने Ram Singh&Ors vs.Amra & It's. में यह अभिनिर्धारित किया है।
1995(2) डी.एन. जे.(राज.)676.
आदेश 39 नियम 1 व 2 में पारित आदेश अपील योग्य है, परन्तु यदि धारा 151 में कोई व्यादेश संबंधी आदेश पारित किया जाता है तो ऐसा आदेश अपील योग्य होगा।तो ऐसा आदेश अपील योग्य नहीं होगा।
1995(2)डी. एन. जे.(राज)675.
इस प्रकार स्पष्ट व सुस्थापित सिद्धान्त है कि व्यादेश के मामलो में संहिता के आदेश 39 में उपबंधित के सिवाय भी न्यायालय पक्षकार को न्याय प्रदान करने या न्यायालय के आदेश का दुरूपयोग का निवारण करने के लिए विधिसमत आदेश प्रदान करने की शक्तियां निहित है।
आगे भी हम सहिंता मुख्य आदेश व धाराओं का क़ानूनी नजीरों सहित आपको अवगत कराते रहेंगे।सरल हिंदी भाषा में विधि की जानकारी हेतु आप मेरे ब्लॉग को फोल्लो करे। यदि आपको अच्छा व उपयोगी लगे तो शेयर करे।
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1. क्या प्राथी का प्रथम दृष्टया मामला है।
2.क्या सुविधा का संतुलन प्राथी के पक्ष में है।
क्या प्राथी को अपूर्तनीय क्षति होगी।
अस्थाई व्यादेश सामान्यतः इसी सिंद्धान्तो के आधार पर ही न्यायालय जारी करता है।लेकिन न्यायालय न्यायहित में उचित समझे या ऐसा अनुतोष जो आदेश 39 नियम 1व 2 की परिधि में नहीं आता है तब न्यायालय धारा 151 सी.पी. सी. के अंतर्गत अपनी अन्तर्निहित शक्तियों के अधीन अन्य आधारों पर भी व्यादेश जारी कर सकता है।सहिंता में धारा 151 महत्वपूर्ण धारा समलित की गयी है।जो निम्न है।
धारा 151सी. पी. सी.--
न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियां--इस संहिता की किसी बात के बारे में यह नहीं समझा जायेगा कि वह ऐसे आदेशो को देने की न्यायालय की अन्तर्निहित शक्ति को परिसीमित या अन्यथा प्रभावित करती है, जो न्याय के उदेश्य के लिए या न्यायालय की आदेशिका के दुरूपयोग का निवारण करने के लिए आवश्यक है।
" संहिता में कोई प्रावधान स्पष्ट वर्णित नहीं है तो न्यायालय इस धारा के अधीन जहाँ पक्षकारो को न्याय प्रदान करने के उदेश्य से निहित शक्तियों के तहत अनुतोष प्रदान कर सकते है।"
व्यादेश के मामलो में भी जहाँ आदेश 39 नियम 1 व 2 के परिधि में नहीं आने वाले मामलो में भी न्यायालय इस धारा के अंतर्गत व्यादेश प्रदान कर सकते है।
अब प्रशन यह कि आदेश 39 नियम 1 व 2 के अंतर्गत प्रस्तुत आवेदन न्यायालय द्वारा ख़ारिज करने के उपरांत भी न्यायालय अपनी अन्तर्निहित शक्तियों के अंतर्गत व्यादेश का आदेश दे सकते है।इसका जबाब है "हाँ"
माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने Ram Singh&Ors vs.Amra & It's. में यह अभिनिर्धारित किया है।
1995(2) डी.एन. जे.(राज.)676.
आदेश 39 नियम 1 व 2 में पारित आदेश अपील योग्य है, परन्तु यदि धारा 151 में कोई व्यादेश संबंधी आदेश पारित किया जाता है तो ऐसा आदेश अपील योग्य होगा।तो ऐसा आदेश अपील योग्य नहीं होगा।
1995(2)डी. एन. जे.(राज)675.
इस प्रकार स्पष्ट व सुस्थापित सिद्धान्त है कि व्यादेश के मामलो में संहिता के आदेश 39 में उपबंधित के सिवाय भी न्यायालय पक्षकार को न्याय प्रदान करने या न्यायालय के आदेश का दुरूपयोग का निवारण करने के लिए विधिसमत आदेश प्रदान करने की शक्तियां निहित है।
आगे भी हम सहिंता मुख्य आदेश व धाराओं का क़ानूनी नजीरों सहित आपको अवगत कराते रहेंगे।सरल हिंदी भाषा में विधि की जानकारी हेतु आप मेरे ब्लॉग को फोल्लो करे। यदि आपको अच्छा व उपयोगी लगे तो शेयर करे।
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