Production of documents by plaintiff ( Order 7 Rule 14 CPC.) - CIVIL LAW

Sunday, May 27, 2018

Production of documents by plaintiff ( Order 7 Rule 14 CPC.)

वादी द्वारा दस्तावेजों का पेश किया जाना
Production of documents by plaintiff.
Order 7 Rule 14  CPC.


आदेश 7 नियम 14 सिविल प्रक्रिया संहिता - जिस दस्तावेज के आधार पर वादी वाद लाता है या विश्वास करता है, उसका पेश किया जाना --
(1) जहां वादी अपने दावे के समर्थन में अपने कब्जे या शक्ति में की दस्तावेज के आधार पर वाद लाता है, या दस्तावेज पर विश्वास करता है, वहां वह ऐसे दस्तावेजों की सूची बनाएगा और वाद पत्र पेश उपस्थित किया जाने के समय उसे न्यायालय में पेश करेगा और उसी समय दस्तावेज को या उसकी प्रति को वाद पत्र के साथ फाइल किए जाने के लिए परिदत करेगा।
(2) जहां कोई ऐसा दस्तावेज वादी के कब्जे या शक्ति में नहीं है, वहां वह, जहां कहीं, संभव हो, या अधिकथित करेगा कि किसके कब्जे या शक्ति में वह है।
(3) ऐसा दस्तावेज जिसे वादी द्वारा न्यायालय में तब प्रस्तुत किया जाना चाहिए जब वह पत्र प्रस्तुत किया जाता है, या वाद पत्र में जोड़ी जाने वाली या उपाबद्ध की जाने वाली सूची में प्रविष्ट किया जाना है, किंतु तदनुसार, प्रस्तुत या प्रविष्ट नहीं किया क्या जाता है तो उसे न्यायालय की अनुमति के बिना वाद की सुनवाई के समय उसकी ओर से साक्ष्य में ग्रहण नहीं किया जाएगा।
(4) इस नियम कोई बात उस दस्तावेज को लागू नहीं होगी, जो वादी के साक्ष्यो  प्रतिपरीक्षा के लिए पेश किया गया है, या साक्षी केवल उसकी स्मृति को ताजा करने के लिए सौंपा गया है।

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संहिता के आदेश 7 नियम 14, 16, 17 मैं वादी द्वारा दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण के बारे में प्रावधान किया गया है। वादी जिस आधार व दस्तावेज जिन पर वाद निर्भर किया गया है, वह तमाम दस्तावेज आदेश 7 नियम 14 (1) के अनुसार वादी द्वारा वाद पत्र के साथ वे सारे दस्तावेज और उनकी प्रतिलिपियां पेश की जाएगी जिन पर वादी का वाद आधारित है। साथ ही वादी को अपने दस्तावेजों की एक सूची भी पेश करनी होगी। नियम 14 (2) के अनुसार जो दस्तावेज वादी के कब्जे में नहीं है उनके बारे में वादी को यह बताना होगा कि वे किसके कब्जे में हैं। जहां वादी द्वारा नियम 14 (1) के अनुसार कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता है तब वाद  के विचारण के दौरान न्यायालय की अनुमति के बिना, वाद की सुनवाई के समय उसे साक्ष्य में ग्राह्य नहीं किया जाएगा।नियम 14 (3)सी. पी.सी.

     उपरोक्त उपबंध के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि वादी जिस दस्तावेज के आधार पर वाद लाता है या विश्वास करता है वह तमाम दस्तावेज वाद पत्र के साथ ही प्रस्तुत कर देना चाहिए यदि किसी कारण से वाद पत्र के साथ दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाते हैं वाह-वह उन दस्तावेजों को वाद की सुनवाई के दौरान जाने की अनुमति के बिना साक्षी में ग्राह्य नहीं किए जा सकेंगे। इसी प्रकार प्रतिवादी को भी लिखित कथन के साथ ही दस्तावेज प्रस्तुत कर देना चाहिए अन्यथा आदेश 8 नियम 1क (3) के अनुसार न्यायालय की अनुमति के बिना वाद की सुनवाई में  प्रतिवादी कीओर से साक्ष्य में नहीं ली जाएगी।

महत्वपूर्ण निर्णय--

(1)  सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 14 के अधीन वाद पत्र के साथ पेश की कोई दस्तावेज अभीवचनों का अंग मानी जानी चाहिए। 1943 ए आई आर( लाहौर) 207 मैं न्यायालय ने यह भी निर्धारित किया है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 14 (2)में उलेखित दस्तावेजों की सूची वाद पत्र का भाग मानी जानी चाहिए।
(2) एक मामले में न्यायालय के सम्मुख वाद से संबंधित दस्तावेजों को प्रस्तुत किए जाने हेतु आवेदन किया गया था किंतु प्रश्नगत का दस्तावेज पर कोई दावा आधारित ना था वहां इस प्रकार के मामले में कोई हस्तक्षेप अनुचित माना गया।
2000 ए आई आर (राजस्थान) 34




( 3) जहां न्यायालय के सम्मुख दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के संबंध में मामला प्रश्नगत हो वहां दावे के पक्षकार को तभी कोई अनुतोष दिया जाना चाहिए जबकि इस संदर्भ में आपत्ति के पक्षकार को सुनने का कोई उचित अवसर दिया जा चुका है।
2000 ए आई आर (राजस्थान) 34

(4) जहां वाद दस्तावेज पर आधारित होता है और प्रतिवादी को दस्तावेज की प्रतिलिपि को देना न्याय हित में आवश्यक या आज्ञापक था वहां न्यायालय दस्तावेज की प्रतिलिपि देने के लिए वादी को निर्देश देने हेतु अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।
2007 ए आई आर (गुवाहाटी) 5

(5) दस्तावेजों को पेश करने के लिए न्यायालय ने पूर्व न्याय के आधार पर इजाजत प्रदान करने से इंकार कर दिया क्योंकि दस्तावेजों को पेश करने के लिए पूर्ववर्ती आवेदन पत्र को नामंजूर किया गया था। यह अभिनिर्धारित किया गया कि पूर्ववर्ती आवेदनपत्र  को नामंजूर करने वाला आदेश पश्चातवर्ती आवेदन पत्र को प्रस्तुत करने में पूर्व न्याय के रूप में नहीं लागू होगा।
2007 ए आई आर  (मुंबई) 7

(6) जहां विचारण के दौरान कतिपय दस्तावेजों को वादी द्वारा पेश किया जाने के लिए न्यायालय की अनुज्ञा की मांग की गई वहां इस आधार पर प्रश्नगत दस्तावेजों को पेश करने के लिए वादी को अनुज्ञा नहीं प्रदान की गई कि वह दस्तावेज सुसंगत नहीं थे। लेकिन चूंकि कथित दस्तावेजों की सुसंगति की जांच किए बिना ही अस्वीकृति का आदेश पारित किया गया इसलिए उसको न्याय संगत नहीं माना गया।
2006 ए आई आर (एनओसी) 673( आ. प्र.)




(7) दस्तावेजों का प्रदर्श या किसी साक्षी को पुनः समन किया जाना आवश्यक नहीं है। वादी खंडन में अपने दस्तावेज की प्रस्तुति के लिए स्वतंत्र है। उचित प्रकरण पर दस्तावेजों की ग्राह्यता के बारे में पक्षकार तर्क प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।निर्णित, दस्तावेजों को अभिलेख का भाग बनाया जाना उचित था।
2007  डब्ल्यू एल सी( राजस्थान)( यू. सी.)540

(8) वादी ने कुछ दस्तावेज पेश करने हेतु आवेदन दायर किया जो आवेदन स्वीकार किया गया। प्रतिवादी ने यह अभ्यापति उठाई की जिन दस्तावेजों के लिए अनुमति प्रदान की गई है वे षड्यंत्रकारी एवं मिथ्या दस्तावेज है। अभिनिर्धारित किया किअभ्यापतियो का निर्णय विचारण न्यायालय द्वारा दोनों पक्षकारों के साक्ष्य के पश्चात और अंतिम निर्णय समय किया जा सकता है।
2005 (2) RLW 785 (Raj)

(9) दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने हेतु प्रार्थना पत्र स्वीकार किया - कथित दस्तावेज सामान्य अवस्था में चुनाव याचिका पेश करने के समय याची के कब्जे में नहीं हो सकते - - चुनाव लड़ने हेतु कक्षा आठवीं की कूटरचित अंक तालिका के उपयोग के संबंध में आपराधिक प्रकरण के दौरान पुलिस ने दस्तावेज एकत्रित किए, निर्णित, आदेश में अवैधता नहीं है।
2017 (3) DNJ (Raj)1204

(10) वाद पत्र पेश करने के समय आरोप पत्र अस्तित्व में नहीं था, उसे रिकॉर्ड पर लेने हेतु आवेदन दिया - प्रतिवादी ने परिसर पर बलपूर्वक को उसका ताला लगाया -निर्णित, दस्तावेज रिकॉर्ड कर लिया।
2017 (1) DNJ (Raj)448






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