रास्ते तथा अन्य निजी सुखाचार के अधिकार
--Right of way and other private easement.
धारा 251 राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955
धारा 251 (1) - उस अवस्था में जब कोई भूमिधारी जो वस्तुतः रास्ते के अधिकार या अन्य सुखाचार या अधिकार का उपभोग कर रहा हो अपने ऐसे उपभोग में बिना उसकी सहमति के कानून द्वारा निर्धारित प्रणाली से भिन्नतरीके से बाधित किया जाय, तहसीलदार, इस प्रकार बाधित भूमिधारी के प्रार्थना पत्र पर, तथा उक्त उपभोग एवं बाधा के विषय में सरसरी जाँच करने के पश्चात् बाधा को हटाये जाने की अथवा बंध किये जाने की और प्रार्थी भूमिधारी को पुनः उक्त उपभोग करने देने की आज्ञा दे सकेगा चाहे इस प्रकार पुनः उपभोग किये जाने के खिलाफ तहसीलदार के समक्ष अन्य कोई हक स्थापित किया जाय।
धारा 251 (2) - इस धारा के अन्तर्गत पारित कोई आज्ञा किसी व्यक्ति को ऐसे अधिकार या सुखाचार को स्थापित करने से विसर्जित नहीं करेगी जिसके लिए वह सक्षम दीवानी न्यायालय में नियमित रीति से वाद प्रस्तुत कर के दावा कर सकता हो।
(1) राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 251 की उपधारा (1) द्वारा भूमि धारक के रास्ते के अधिकार के वास्तविक उपभोग में विध्न होने पर उसके प्रार्थना पत्र के निपटारे के लिये तहसीलदार को प्रदत्त शक्ति तहसीलदार के स्थान पर उस गाँव पंचायत द्वारा प्रयुक्त की जायगी जिसमें कि वह भूमि स्थित है जिसके संबंध में रास्ते के अधिकार में विध्न डाला गया है, और
(2) इस अधिसूचना द्वारा प्रत्यायोजित शक्तियों के अन्तर्गत ग्राम पंचायत द्वारा निर्णित मामलों में दी गई आज्ञा की अपील संबंधित जिले के कलक्टर को होगी।
सुखाचार के मामलों में अपनाई जाने वाल कार्य प्रणाली
सुखाचार के मामले में आवेदन पत्र तहसीलदार को प्रस्तुत किये जायेंगे जो तृतीय परिशिष्ट के द्वितीय भाग के मद संख्या 81 द्वारा शासित होंगे। इस हेतु एक रुपया का न्यायालय शुल्क लगेगा। इस धारा के अन्तर्गत तहसीलदार द्वारा दी गई आज्ञा की अपील कलक्टर के यहाँ होगी एवं दूसरी अपील न होकर निरीक्षण राजस्व मण्डल में होगा।
आवेदन की प्राप्ति से 45 दिन तक अधिकारिता एक मात्र ग्राम पंचायत को है और उसके पश्चात् आवेदन पर कार्यवाही करने की एक मात्र अधिकारिता तहसीलदार को है।
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इस अधिनियम में राजस्थान राजपत्र विषेषांक भाग-4(क), दिनांक 18.01.2012 द्वारा धारा 251क जोड़ी गई है। इस धारा का विस्तृत विवरण निम्नानुसार हैः-
धारा 251कः- अन्य खातेदार की जोत में से होकर भूमिगत पाईपलाईन बिछाना या नया मार्ग खोलना या विद्यमान मार्ग का विस्तार करनाः- (1) जंहा-
(क) कोई अभिधारी, अपनी जोत की सिंचाई के प्रयोजन के लिए किसी अन्य खातेदार की जोत में से होकर भूमिगत पाईपलाईन बिछाना चाहता है; या
(ख) कोई अभिधारी या अभिधारियो का कोई समूह अपनी जोत या, यथास्थिति, उनकी जोतो तक पंहुचने के लिए अन्य खातेदार की जोत में से होकर एक नया मार्ग बनाना चाहता है या विद्यमान मार्ग को विस्तारित या चौड़ा करना चाहता है-
और मामला पारस्परिक सहमति से तय नहीं होता है तो ऐसा अभिधारी या, यथास्थिति, ऐसे अभिधारी ऐसी सुविधा के लिये संबंधित उपखण्ड अधिकारी को आवेदन कर सकेंगे और उपखण्ड अधिकारी, यदि संक्षिप्त जांच के बाद उसका समाधान हो जाता है कि-
(1) यह आवश्यकता आन्त्यतिक आवश्यकता और यह जोत के केवल सुविधाजनक उपयोग के लिए नहीं ; और
(2) अन्य खातेदार की जोत में से होकर, वी रूप से नये मार्ग के मामले में, पंहुचने के वैकल्पिक साधन का अभाव सिद्ध किया गया है,
तो आदेश के द्वारा, आवेदक को, अभिधारी, जो उस भूमि को धारित करता है, द्वारा सीमांकित या दर्षित लाईन केसाथ-साथ भूमि की सतह के कम से कम तीन फुट नीचे पाईपलाइन बिछाने के लिये या ऐसे ट्रैक पर, जो उस अभिधारी द्वारा जो उस भूमि को धारित करता है, दर्षाया जाए, भूमि मंे होकर, और यदि ऐसा ट्रैक दर्षित नहीं किया जाए तो लघुतम या निकटतम रूट में से होकर एक नया मार्ग जो तीस फुट से अधिक चौड़ा नहो, बनाने के लिए या विद्यमान मार्ग को तीस फुट से अनधिक तक विस्तारित या चौड़ा करने के लिये, उस अभिधारी को, जो उस भूमि को धारित करता है, जिसमें से होकर पाईपलाईन बिछाने या एक नया मार्ग बनाने या विद्यमान मार्ग को चौड़ा किए जाने का अधिकार मंजूर किया जाए, अनुज्ञात कर सकेगा।
(2) जंहा उपधारा 1 के अधीन नया मार्ग बनाने या किसी विद्यमान मार्ग को विस्तारित करने या चौड़ा करने का अधिकार मंजूर किया जाए वहां ऐसे मार्ग को समाविष्ट करने वाली उस भूमि के संबंध में अभिधृति निर्वापित की हुई समझी जाएगी और वह भूमि राजस्व अभिलेख में ‘‘रास्ता’’ के रूप में अभिलिखित कर दी जाएगी।
(3) वे व्यक्ति, जिनको उपधारा 1 में निर्दिष्ट सुविधाओं में से किसी भी सुविधा के उपभोग के लिये अनुज्ञात किया गया है, उक्त सुविधा के आधार पर उस जोत में, जिसमे से होकर ऐसी सुविधा मंजूर की जाये, कोई भी अन्य अधिकार अर्जित नहीं करेंगे।
Case Law:-
1. गोपाल बनाम लादू (आर.आर.डी. 1956 पृष्ठ 197)
इस धारा का पूर्वगामी प्रभाव नहीं है।
2. महेन्द्रसिंह बनाम राज्य (आर.आर.डी. 1960 पृष्ठ 118)
रामदेव बनाम रामप्रसाद (आर.आर.डी. 1962 पृष्ठ 174)
कोडू बनाम भारत सरकार (आर.आर.डी. 1960 पृष्ठ 111)
चंदगीराम बनाम रामलाल (आर.आर.डी. 1962 पृष्ठ 285)
इस धारा के अन्तर्गत संक्षिप्त जाँच की जाती है तथा निर्णय रिवाज तथा पक्षकरों की सहुलियत के आधार पर किया जाता है। सुखाधिकार का निर्णय इस विषय पर प्रचलित कानून के आधार पर किया जाना चाहिए।
3. महेन्द्रसिंह बनाम राज्य (आर.आर.डी. 1960 पृष्ठ 118)
इस धारा में रिवाज के सुखाधिकार को मान्यता दी गई है। यह धारा सुखाधिकार के अधिकार की कोई पृथक कानून का प्रावधान नहीं करती।
4. लादूराम बनाम राज्य (आर.आर.डी. 1964 पृष्ठ 287)
यह धारा सार्वजनिक मार्गों पर लागू नहीं होती केवल व्यक्तिगत रास्ते के अधिकारों पर लागू है।
5. रामनिवास बनाम जगन्नाथ (आर.आर.डी. 1964 पृष्ठ 280)
भू राजस्व अधिनियम की धारा 260 के अन्तर्गत इस धारा के अधिकार राज्य सरकार ग्राम पंचायत को दे सकती है।
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6. भूरेखां बनाम खाजू (आर.आर.डी. 1964 पृष्ठ 287)
इस धारा के अन्तर्गत निर्णय करने के अधिकार केवल ग्राम पंचायत को है। तहसीलदार को कोई अधिकार नहीं है।
7. गौरीलाल बनाम रामेश्वर (आर.आर.डी. 1964 पृष्ठ 264)
इस धारा के अन्तर्गत मौका निरीक्षण किया जा सकता है।
8. रतनलाल बनाम किशनलाल (आर.आर.डी. 1968 पृष्ठ 608)
मौका निरीक्षण की टिप्पणी तैयार की जानी चाहिए।
9. राजू बनाम रूघजी (आर.आर.डी. 1968 पृष्ठ 157)
इस धारा के अन्तर्गत निर्णय होने के पश्चात् भी सुखाधिकार के संबंध में दीवानी न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जा सकता है।
10. प्रतापसिंह बनाम कचरू (आर.आर.डी. 1971 पृष्ठ 304)
इस धारा के प्रावधान अकृषि भूमि पर लागू नहीं होते।
11. डुंगरराम बनाम बेगाराम (आर.आर.डी. 1968 पृष्ठ 567)
जब व्यक्तिगत रास्तों पर रुकावट आती है तो यह धारा प्रभाव में लाई जा सकती है।
12. नेघसिंह बनाम मंगला (आर.आर.डी. 1972 पृष्ठ 33)
कुएं से सिंचाई का अधिकार सुखाधिकार है तथा इसे निर्णित करने में दीवानी न्यायालय सक्षम है।
13. श्रीराम बनाम ग्राम पंचायत हमीरवास बड़ा (आर.आर.डी. 1975 पृष्ठ 461)
यदि आराजी जेर बहस आम रास्ते के काम आती हो तो उस पर धारा 251 के प्रावधान लागू नहीं होते।
14. मादाराम बनाम कानाराम (आर.आर.डी. 1975 पृष्ठ 413)
धारा 251 के अन्तर्गत तहसीलदार का निर्णय बिना क्षेत्राधिकार के है।
15. लाला बनाम भूरा व अन्य (आर.आर.डी. 1975 पृष्ठ 535)
धारा 251 केवल उस सूरत में लागू होती है जब विद्यमान अधिकारों में रुकावट की जाती है। यह धारा नये अधिकारों को पैदा नहीं कर सकती है।
16. नत्थूसिंह बनाम राधेश्याम (आर.आर.डी. पृष्ठ 517)
धारा 251 (1) के अन्तर्गत निर्णय के पश्चात् भी धारा 251 (2) के अन्तर्गत दीवानी न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जा सकता है।
17. ओंकार बनाम हीरालाल (आर.आर.डी. 1976 पृष्ठ 7)
कुएं से पानी लेने का अधिकार सुखाधिकार है तथा इसके लिए सक्षम न्यायालय दीवानी है।
18. सुरजाराम बनाम हरदेवराम (आर.आर.डी. 1976 पृष्ठ 590)
रुकावट पैदा करने से पूर्व जिस कदर रास्ता था उसकी चैड़ाई की बाबत आदेश पारित करने में ग्राम पंचायत सक्षम है।
19. नरेन्द्र बनाम राज्य (आर.आर.डी. 1976 पृष्ठ 597)
यदि कोई रास्ता अधिकारियों न स्वीकृत किया व उसका उपयोग होता रहा तो वह पुराना रास्ता है तथा उसमें दखल नहीं किया जा सकता।
20. अमीलाल बनाम दुर्गादत्त (आर.आर.डी. 1979़ पृष्ठ 501)
इस धारा के अन्तर्गत पेनल्टी नहीं लगाई जा सकती। यदि पंचायत ने पेनल्टी लगाई है तो ऐसी आज्ञा अनधिकृत है।
21. कवरिया बनाम नारायण (आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 38)
एकीकरण की कार्यवाही के दौरान नक्शा तैयार करते समय रास्ता नहीं दिखाया गया। यदि यह पाया जाय कि प्रार्थी द्वारा ऐसे अधिकार का उपभोग किया जा रहा है तो ऐसा अवरोध ग्राम पंचायत के आदेश के द्वारा राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 251 के अन्तर्गत हटाया जा सकता है।
22. हनुमान दास बनाम जनता धूजपुर (आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 354)
राजस्व अभिलेख के अन्तर्गत मान्य रास्ते संबंधी इन्द्राज आवश्यक नहीं है।
23. राज्य बनाम जुगलकिशोर (आर.आर.डी. 1982 पृष्ठ 176)
एक बार राजस्व न्यायालय द्वारा किसी मामले में निर्णय देने के पश्चात् उसे पुनः उठाने पर (रेसज्यूडिकेट) का सिद्धान्त लागू होगा।
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Sir hmare khet me aane ke liye pichhle 50-60 vrson Se chal rhe raste ko 25 March 2018 ko jbrdsti band kr Diya gya lekin tahsildar dwara abhi tk Rasta nhi kulwaya gya jbki report sbhi hmare fewr ki h ab Kya kren
ReplyDeletesir hmare plat se jabardasti rasta lagva liya gya h
ReplyDeleteयू.पी.भूमिगत पाइपलाइन के लिए कानून हो तो बताएं
ReplyDeleteदूसरे खातेदार के खेत से होकर पाइपलाइन चार फुट नीचे पड़ी हुई है अब वो उसे उखाड़ने के लिए बोल रहा है जबकि पाइपलाइन में एक लाख रु.की लागत लगी है।
आज कल रास्ता तो सब के हो सक्ता है पर लोग रास्ते का मैटर लेकर नेता लोगो के पास चले जाते ओर वो मामल नेता वोटो के चकर मै मामले को ठढे बस्ते मै डाल देते है
ReplyDeleteSDM से डायरेक्ट बात करो जो भी मामला है
ऊस को नेते चोर लोग ऊन मत।पहूचने तो
क्यू हम यह कसे जित चूके है अमने भी नेता लोग के 5 साल तक रिक्वेसट कि पर हमारा काम नही बना
हम आखीर समय मै SDM सर से बात की यह मामला है तो SDM साब ने तूरन्त फैसला सूना दिया ओर रास्ते का ओरडर कर दिया ओर बाद मै नेता लोगो को पता चला तो दूसरे दिन SDM साब कि ट्रासफ्पोर कर दिया गया पर हमारा कारय कर के गये SDM साब आपका सूक्रिरया
वो एक कहावत है आकम जाऐ पर हूकम नही जाऐ
SDM ANIL KUMARJI
गाव रणोदर
तहसिल चितलवाना साचोर
जिला जालोर राजस्थान
Sir me bhi raste ke liye 2yere se chakar kat raha hu help me
Delete251 तहत रास्ते का प्रवाधान है
ReplyDeleteअगर गोरवेन्ट चाए तो 101%
रास्ता मिल सक्ता है
Sir mere makaan ka diwali dusre ke aangan se laga h per wo diwali ke plaster ke liye mana karta ha. Diwali kharab ho rha h. Kya sukadhikar milega.
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteSir mai apne khet par jane ke leye rasta chahata houn or mene apne hi kheti par makan bhi bana rakha hai kya rasta melgar kya
ReplyDeleteNice Information sir
ReplyDeleteरास्ते का अधिकार