सिविल प्रक्रिया संहिता में आदेश 7 में वाद पत्र बाबत नियम बनाए गए है।सबसे पहले वाद पत्र क्या है इसे समझना व जानना आवश्यक है।
"वादपत्र वादी की और से न्यायालय में पेश किया गया वह लेख होता है जिसमे वह उन तथ्यों को अभिकथन करता है जिसके आधार पर न्यायालय से अपने अनुतोष की मांग करता है।"
सिविल अनुतोष पाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का आरम्भ वादपत्र पेश किये जाने पर होता है।वादपत्र में वर्णित तथ्यों पर ही वाद की सफलता निर्भर करती है।यदि वादपत्र ठोस आधारों से प्रस्तुत किया जाता है तभी वाद सफल होने व वाद का संचालन भी ठीक से होता है।कहने का मतलब यह है कि वादपत्र ही वाद की आधारशिला है जिस पर वादी अपने मामले की ईमारत बनाता है।कहने का मतलब यह हे कि वादी योग्य और ठोस तथ्यों व क़ानूनी खामिया रहित वाद पेश करता है उसे असफलता का भय नहीं रहता है।इस कारण संहिता में उपबंधित प्रावधानों की जानकारी आवश्यक है।
"वादपत्र में दर्ज की जानेवाली अन्तर्वस्तुओ एवम अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं आदेश 7 में की गयी है ।"
आदेश7नियम1सी पी सी--
वादपत्र की अन्तर्वस्तुये--
(क) उस न्यायालय का नाम जिसमे वाद लाया जाता है;
(ख) वादी का नाम पता व आयु तथा निवास स्थान;
(ग)प्रतिवादी का नाम ,पता, आयु, तथा निवास स्थान;
(घ) यदि वादी या प्रतिवादी दोनों में से कोई अवयस्क है तो उस आशय का कथन;
(ड़) वे तथ्य जिनसे वाद कारण पैदा होता है और वह किस समय पैदा हुआ;
(च) यह दर्शित करने वाले तथ्य कि न्यायालय को क्षेत्राधिकार है;
(छः) वह अनुतोष जिसका वादी दावा करता है;
(ज) जहा वादी ने कोई मुजरा अनुज्ञात किया है या अपने दावा का कोई भाग त्याग दिया है वहाँ ऐसी अनुज्ञात की गयी या त्यागी गयी रकम;तथा
(झ) अधिकारिता के और न्यायालय फीस के लिये वाद की विषय वस्तु के मूल्य का ऐसा कथन उस मामले में होगा।
आदेश 7 नियम 1 C P C
इस प्रकार वादी को अपने वादपत्र में उपरोक्त सभी बातों का स्पष्ट उल्लेख करना चाहिये।
इसी प्रकार संहिता के आदेश 7 नियम 2 में धन के वादों के बारे में प्रक्रिया बताई गयी है।
आदेश7 नियम3 में " जहा वाद की विषय वस्तु स्थावर (अचल) संपत्ति है, के बारे में " का विवेचन है।
आदेश 7 नियम 4 " जब वादी प्रतिनिधि के रूप में वाद लाता है।"
आदेश 7 नियम 5 "प्रतिवादी के हित और दायित्व का दर्शित किया जाना।"
आदेश 7 नियम 6" परिसीमा विधि से छूट के आधार" का ववेचन है।
आदेश 7 नियम 7 " अनुतोष को विनिर्दिष्ट रूप से कथन" के बारे में है।
आदेश7 नियम 8 " पृथक आधार पर आधारित अनुतोष" का विवेचन है।
आदेश 7 नियम 9 " वादपत्र ग्रहण करने पर प्रक्रिया" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 10 " वाद पत्र का लौटाया जाना" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 11 " वादपत्र का नामंजूर किया जाना" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 12 " वाद पत्र के नामंजूर किये जाने पर प्रक्रिया" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 13 " जहाँ वादपत्र की नामंजूरी से नये वादपत्र का पेश किया जाना प्रवारित नहीं होता"
आदेश7 नियम 14 "जिस दस्तावेज के आधार पर वादी वाद लाता है या निर्भर रहता है उसका पेश किया जाना"
नियम 15 "विलुप्त ।
नियम 16 " खोई हुई परक्राम्य लिखतों के आधार पर वाद ।
नियम 17 " दुकान का बही खाता पेश करना ।
नियम 18 " विलुप्त ।
वाद पत्र उपरोक्त समस्त नियमो को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया जाना चाहिए । आगे हम आवश्यक और महत्वपूर्ण नियमो का विस्तार से क़ानूनी नजीरों सहित विवेचन करेंगे।
पाठको व् विधार्थियो की सुविधा के लिए सरल हिंदी में लिझने का प्रयाश किया गया हैं जो आपको पसंद आएगा । ।
"वादपत्र वादी की और से न्यायालय में पेश किया गया वह लेख होता है जिसमे वह उन तथ्यों को अभिकथन करता है जिसके आधार पर न्यायालय से अपने अनुतोष की मांग करता है।"
सिविल अनुतोष पाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का आरम्भ वादपत्र पेश किये जाने पर होता है।वादपत्र में वर्णित तथ्यों पर ही वाद की सफलता निर्भर करती है।यदि वादपत्र ठोस आधारों से प्रस्तुत किया जाता है तभी वाद सफल होने व वाद का संचालन भी ठीक से होता है।कहने का मतलब यह है कि वादपत्र ही वाद की आधारशिला है जिस पर वादी अपने मामले की ईमारत बनाता है।कहने का मतलब यह हे कि वादी योग्य और ठोस तथ्यों व क़ानूनी खामिया रहित वाद पेश करता है उसे असफलता का भय नहीं रहता है।इस कारण संहिता में उपबंधित प्रावधानों की जानकारी आवश्यक है।
"वादपत्र में दर्ज की जानेवाली अन्तर्वस्तुओ एवम अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं आदेश 7 में की गयी है ।"
आदेश7नियम1सी पी सी--
वादपत्र की अन्तर्वस्तुये--
(क) उस न्यायालय का नाम जिसमे वाद लाया जाता है;
(ख) वादी का नाम पता व आयु तथा निवास स्थान;
(ग)प्रतिवादी का नाम ,पता, आयु, तथा निवास स्थान;
(घ) यदि वादी या प्रतिवादी दोनों में से कोई अवयस्क है तो उस आशय का कथन;
(ड़) वे तथ्य जिनसे वाद कारण पैदा होता है और वह किस समय पैदा हुआ;
(च) यह दर्शित करने वाले तथ्य कि न्यायालय को क्षेत्राधिकार है;
(छः) वह अनुतोष जिसका वादी दावा करता है;
(ज) जहा वादी ने कोई मुजरा अनुज्ञात किया है या अपने दावा का कोई भाग त्याग दिया है वहाँ ऐसी अनुज्ञात की गयी या त्यागी गयी रकम;तथा
(झ) अधिकारिता के और न्यायालय फीस के लिये वाद की विषय वस्तु के मूल्य का ऐसा कथन उस मामले में होगा।
आदेश 7 नियम 1 C P C
इस प्रकार वादी को अपने वादपत्र में उपरोक्त सभी बातों का स्पष्ट उल्लेख करना चाहिये।
इसी प्रकार संहिता के आदेश 7 नियम 2 में धन के वादों के बारे में प्रक्रिया बताई गयी है।
आदेश7 नियम3 में " जहा वाद की विषय वस्तु स्थावर (अचल) संपत्ति है, के बारे में " का विवेचन है।
आदेश 7 नियम 4 " जब वादी प्रतिनिधि के रूप में वाद लाता है।"
आदेश 7 नियम 5 "प्रतिवादी के हित और दायित्व का दर्शित किया जाना।"
आदेश 7 नियम 6" परिसीमा विधि से छूट के आधार" का ववेचन है।
आदेश 7 नियम 7 " अनुतोष को विनिर्दिष्ट रूप से कथन" के बारे में है।
आदेश7 नियम 8 " पृथक आधार पर आधारित अनुतोष" का विवेचन है।
आदेश 7 नियम 9 " वादपत्र ग्रहण करने पर प्रक्रिया" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 10 " वाद पत्र का लौटाया जाना" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 11 " वादपत्र का नामंजूर किया जाना" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 12 " वाद पत्र के नामंजूर किये जाने पर प्रक्रिया" के बारे में है।
आदेश 7 नियम 13 " जहाँ वादपत्र की नामंजूरी से नये वादपत्र का पेश किया जाना प्रवारित नहीं होता"
आदेश7 नियम 14 "जिस दस्तावेज के आधार पर वादी वाद लाता है या निर्भर रहता है उसका पेश किया जाना"
नियम 15 "विलुप्त ।
नियम 16 " खोई हुई परक्राम्य लिखतों के आधार पर वाद ।
नियम 17 " दुकान का बही खाता पेश करना ।
नियम 18 " विलुप्त ।
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Thanks app kaise download kare
ReplyDeleteविद्वेषपूर्ण अभियोजन के लिए वाद पत्र का प्रतिवाद पत्र।
ReplyDeleteMujhe ye topic nahi mil raha...sir, aap meri kuch help kr sakte hai kya?
सिविल कोर्ट ट्रायल एक साथ संक्षिप्त में बताईए धरे,आदेश ओर नियमो सहित
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