Order 11 C.P.C. DISCOVERY AND INSPECTION - CIVIL LAW

Friday, February 17, 2017

Order 11 C.P.C. DISCOVERY AND INSPECTION

Order 11 C.P.C. DISCOVERY AND INSPECTION
आदेश 11 सी.पी.सी. प्रकटीकरण और निरक्षण
 

      न्यायिक प्रकिया में पक्षकारो को अपनी अभिवचन प्रस्तुत करने का अधिकार हैं तथा विधि का सुस्थापित सिदान्त हैं की एक पक्षकार न्यायालय के सामने अपना अनुतोष प्राप्त करने के लिय वाद प्रस्तुत करता हैं तथा विरोधी पक्षकार उसके समर्थन में या विरोध में सम्पूर्ण तथ्यों सहित अपना जवाब दावा प्रस्तुत करता हैं | इससे स्पष्ट हैं की विरोधी पक्षकार को मामले की प्रकति जानने का पूर्ण अधिकार हैं | सभी जानकारियां विरोधी पक्षकार को दावे से प्राप्त हो जाती हैं, यदि अभिवचन स्पष्ट हो | कभी कभी अभिवचन संदिग्ध होने के कारण प्रतिपक्षी को सही तथ्यों  की जानकारी नही हो पाती हैं ऐसी अवस्था में विरोधी पक्षकार उन तथ्यों को प्रकट करने के लिए विरोधी पक्ष को बाध्य कर सकता हैं | एस आदेश में एसे ही प्रकटीकरण, प्रश्नमालाओ एवं निरक्षण समन्धि व्यवस्था की गयी हैं |

  प्रकटीकरण क्या हैं ?
  न्यायिक प्रक्रिया में वादी तथा प्रतिवादी अपना अभीकथन प्रस्तुत करते हैं तथा उसमे इसे सभी सारवान तथ्य जिससे किसी मामले का गठन होता हैं और अपने विरोधी पक्षकार से मामले का समर्थन करने के लिए आवश्यक होने वाले तथ्य का प्रकट करना ही प्रकटीकरण हैं |

प्रकटीकरण आदेश 11नियम 1 सी.पी.सी में इस प्रकार हैं -
1:- परिप्रश्नो द्वारा प्रकटीकरण करना -किसी भी वाद में वादी या प्रतिवादी विरोधी पक्षकारो या ऐसे पक्षकारो में से किसी एक या अधिकी परीक्षा करने के लिए लिल्खित परिप्रश्न न्यायालय के आदेश से प्रदत कर सकेगा और प्रदित किये जाते समय परीप्रश्नो में यह टिप्पण होगा की ऐसे व्यक्तियो में से हर एक इसे परीप्रश्नो में से किन का उत्तर देने के लिए अपेक्षित हैं, परन्तु कोई भी पक्षकार एक ही पक्षकार को परिप्रश्न के एक वर्ग से अधिक उस परियोजन के लिए आदेश के बिना प्रदितनही करेगा परन्तु यह और भी वे परिप्रश्ना जो वाद में प्रश्नगत किन्ही विषयों से सम्बंधित नही हैं, इस बात के होते हुए भी विसंगत समझेजायेंगे की साक्षी की मौखिक प्रतिरक्षा करने में वे ग्राह्य होते|

2 :- नियम दो विशिष्ठ परिप्रश्नो का दिया जाना बाबत हैं |
3 :- परिप्रश्नो के खर्चे बाबत हैं |

      इसी प्रकार सहिंता में इस आदेश में कुल 23 नियम दिए गये हैं लेकिन हम उन सभी को लिखित न करते हुए न्यायिक प्रक्रिया में अक्षर नियम 12 तथा 14 महत्वपूर्ण होने से हम इन्ही दोनों नियमो का विस्तृत विवेचन कर रहे हैं जो की न्यायिक प्रक्रिया में उपयोगी हैं |
इस पोस्ट में नियम 12 का उल्लेख किया गया हैं |

नियम 12 दस्तावेजो के प्रकटीकरण के लिए आवेदन - 
         
           कोई भी पक्षकार कोई भी शपथ पत्र फाइल किये बिना न्यायालय से ऐसे आदेश के लिए आवेदन कर सकेगा जो किसी वाद के किसी अन्य पक्षकार को निर्देश करता हो की वह उसमे प्रश्नगत किसी बात से सम्बंधित ऐसे दस्तावेजो का, जो उसके कब्जे या शक्ति में हो या रहा हो, शपथ पत्र पर प्रकटीकरण करे इसे आवेदन की सुनवाई के पश्चात यदि न्यायलय को समाधान हो जाता हैं की ऐसा प्रकटीकरण आवश्यक नही हैं या वाद के उस प्रकरम में आवश्यक नही हैं तो वह नामंजूर कर सकेगा या स्थगित कर सकेगा अथवा या तो साधारणतः या दस्तावेजो के कुछ वर्गों तक ही सिमित ऐसा आदेश कर सकेगा जो स्वविवेक में वह ठीक समझे |
   
     परन्तु जब और जहा तब न्यायालय की यह राय हैं की वाद के निपटारे के लिए या खर्चो में बचत करने के लिए यह आवश्यक नही हैं तब और वहा प्रकटीकरण के लिए आएश नही दिया जायेगा |

 1)  एक मामले मे आदेश 39 नियम1 के लंबित मामले में ऐसा आवेदन पेश होने पर आक्षेप हुआ की जहा व्यादेश के अनुतोष का मामलो हो वहा नियम 12के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत नही हो सकता हैं | उच्चतम न्यायालय का निर्णय AIR 1972 S.C. 2379  में यह अभिनिर्धारित किया गया है की आदेश 11 के प्रावधान आदेश 39 नियम 1 के लंबित मामलो में भी लागू होंगे | इसी आधार पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने पुनरीक्षण याचिका ख़ारिज की
1999(1) DNJ (RAJ.)49

 2) जो दस्तावेज विवाद के अधिनिर्णय हेतु संगत और उचित हैं, को आहूत करने के लिए दिया गया आवेदन स्वीकार्य होना चाहिए |
1996(2)DNJ(RAJ.)601

 3) वादी दस्तावेज का अस्तित्व में होना साबित करने में असफल रहा इसलिए प्राथना पत्र सही ख़ारिज किया गया |
2011(3)DNJ(RAJ.)1048

 4)  किराया नियंत्रण अधिनियम 2001 में सिविल प्रक्रिया सहित के प्रावधान लागू नही होने से प्रस्तुत आवेदन सही ख़ारिज किया गया हैं रिट याचिका अस्वीकार |
2013(2) DNJ(RAJ.)500
  
   नियम 13 दस्तावेजो सम्बन्धी शपथ पत्र बाबत हैं |

   नियम 14 का विस्तृत विवेचन आगामी पोस्ट में क़ानूनी नजीरो सहित किया जायेगा | आप निरंतर ब्लॉग से जुडे रहे |
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